सपनों का नहीं, मौत का शिखर है एवरेस्ट, फिल्मों की रोमांटिक तस्वीरों से बहुत दूर है सच्चाई

माउंट एवरेस्ट (ऊंचाई 8,848 मीटर) पृथ्वी पर सबसे ऊंचा पर्वत है। इसके शिखर तक पहुंचने की इच्छा रोमांच के प्यासे लोगों को होती है। यहां पहुंचने के लिए इंसान को अपनी सीमाओं से आगे बढ़ना होता है। 

 

Asianet News Hindi | Published : Jun 12, 2024 9:33 AM IST / Updated: Jun 12 2024, 03:04 PM IST

लेखक- विंग कमांडर अमित चौधरी। कई लोगों के लिए माउंट एवरेस्ट मानवीय उपलब्धियों का शिखर है। यह साहस और धीरज की अंतिम परीक्षा है। इस पर्वत पर विजय पाने का सपना पीढ़ियों से लोगों को लुभाता रहा है। हालांकि, एवरेस्ट की रियलिटी फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री में दिखाई गई रोमांटिक तस्वीरों से बहुत दूर है। एवरेस्ट एक खतरनाक पर्वत है। नए पर्वतारोही के लिए इसपर चढ़ने की कोशिश खतरनाक हो सकती है। यह निबंध में युवाओं से आग्रह है कि अपने जीवन को जोखिम में डालने से पहले एवरेस्ट पर चढ़ने के अपार खतरों को जान लें।

एवरेस्ट का घातक आकर्षण

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माउंट एवरेस्ट के शिखर तक पहुंचने की सपना बहुत से लोगों का होता है। ट्रैवल एजेंसियों और कंपनियों ने इसका लाभ उठाया है। एवरेस्ट पहले से कहीं अधिक सुलभ हो गया है। दुर्भाग्य से इस बढ़ी हुई पहुंच के लिए बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है।

एवरेस्ट पर चढ़ने की भयावह सच्चाईयां

एवरेस्ट का वातावरण कठोर है। 8,000 मीटर से ऊपर का "death zone" ऐसी जगह है जहां मानव शरीर तेजी से खराब होने लगता है। यहां समुद्र तल पर उपलब्ध ऑक्सीजन की तुलना में केवल एक-तिहाई ऑक्सीजन है। तापमान -60°C तक गिर सकता है। तेज हवाएं बर्फानी तूफान ला सकती हैं। इससे पहाड़ एक जानलेवा भूलभुलैया में बदल जाता है। इस कठोर मौसम ने सैकड़ों पर्वतारोहियों की जान ली है। 2019 में एक ही सप्ताह में एवरेस्ट पर रिकॉर्ड 11 पर्वतारोहियों की मौत हुई। इस साल पांच लोगों की मौत हुई है, जिसमें एक भारतीय भी शामिल है।

एवरेस्ट पर चढ़ने की अनदेखी लागत

एवरेस्ट पर चढ़ने के कई अभियान में पर्वतारोही की सुरक्षा से ज्यादा शिखर तक पहुंचने को प्राथमिकता दी जाती है। पर्वतारोही बड़े समूह में चढ़ाई करते हैं तो महत्वपूर्ण बिंदुओं पर रुकावट होती है। इससे समय अधिक लगता है और पर्वतारोहियों को लंबे समय तक खतरे वाली जगह पर रहना होता है। अनुभवहीन पर्वतारोही कभी-कभी शिखर तक जाने की कोशिश में अपनी सीमा से आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं। एवरेस्ट के व्यावसायीकरण ने शेरपाओं के शोषण को भी बढ़ावा दिया है। ये शेरपा मार्गदर्शक हैं। वे अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शेरपा रस्सियों को ठीक करने, उपकरण ले जाने और पर्वतारोहियों की सहायता करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं। इसके बदले उन्हें अक्सर पश्चिमी समकक्षों को मिलने वाले वेतन का एक छोटा हिस्सा ही मिलता है।

एक अलग तरह की चुनौती

पर्वतारोहण की असली भावना चुनौती, सौहार्द और पहाड़ के प्रति गहरे सम्मान के बारे में है। यह अपनी खुद की सीमाओं को टेस्ट करने, कठोर इलाके में आगे बढ़ने के लिए जरूरी कौशल और अनुभव विकसित करने के बारे में है। एवरेस्ट को अमीर और लापरवाह लोगों द्वारा जुटाई जाने वाली ट्रॉफी नहीं होना चाहिए। ऐसे बहुत से अन्य पर्वत हैं जहां लोग कम खतरे का सामना करते हुए चढ़ाई कर सकते हैं। इन पहाड़ों पर आप अपने पर्वतारोहण कौशल को निखार सकते हैं।

किस विरासत को पीछे छोड़ना चाहते हैं आप

भारत के युवा दुनिया पर अपनी छाप छोड़ने की चाहत रखते हैं। खुद को महान बनाने, अपनी सीमाओं को पार करने और सकारात्मक प्रभाव डालने के अनगिनत तरीके हैं। एवरेस्ट पर चढ़ना आपके लिए निर्णायक क्षण नहीं है। आप विचार करें कि किस विरासत को पीछे छोड़ना चाहते हैं। क्या आप एक साहसी व्यक्ति के रूप में याद किए जाना चाहते हैं जिसने दूसरों को प्रेरित किया। या एक चेतावनी देने वाली कहानी के रूप में जो एवरेस्ट की कठोर गोद में खो गया।

मौत नहीं, जीवन में करें जीवन

एवरेस्ट पर न चढ़ने से बचा हुआ पैसा आपके भविष्य, शिक्षा, जुनून को आगे बढ़ाने या दूसरों की मदद करने में निवेश किया जा सकता है। दुनिया को और अधिक डॉक्टरों, इंजीनियरों, कलाकारों और उद्यमियों की जरूरत है। ऐसे लोगों की जरूरत है जो समस्याओं का समाधान करें, दुनिया को बेहतर जगह बनाएं। दुनिया को अधिक लापरवाह रोमांच चाहने वालों की जरूरत नहीं है। ऐसे लोगों की जरूरत नहीं है जो क्षण भर की महिमा के लिए अपने जीवन को दांव पर लगा देते हैं।

आपकी योग्यता की परीक्षा नहीं है एवरेस्ट

आपके लिए अवसरों की एक दुनिया इंतजार कर रही है। एवरेस्ट के खोखले आकर्षण से बहकें नहीं। ऐसी चुनौती चुनें जो आपकी सीमाओं को परख सके और आगे बढ़ा सके। ऐसी चुनौती चुनें जो जीवन का जश्न मनाए, न कि मौत बुलाए। पहाड़ तब भी वहीं रहेंगे, चढ़ने का इंतजार करेंगे, जब आप उन्हें अपने अनुभव, कौशल और सम्मान के साथ लेने के लिए तैयार होंगे। एवरेस्ट को ऐसा पहाड़ बनने दें जिसे आप जीत सकें और वापस लौट सकें।

खाली चोटी की कीमत पर करें विचार

आज के सोशल मीडिया के युग में एवरेस्ट की चोटी इंस्टाग्राम पोस्ट के लिए बड़ा आकर्षण है। लेकिन उस तस्वीर की कीमत पर विचार करें। एवरेस्ट पर चढ़ने पर करीब 60,000 डॉलर से अधिक खर्च होते हैं। इतने पैसे से आप बहुत कुछ कर सकते हैं।

एवरेस्ट: एक चुनौती पर विजय?

पर्वतारोहण की सबसे बड़ी भावना अज्ञात क्षेत्र में जाने का रोमांच और जोखिम भरे इलाकों को पार करने की आत्मनिर्भरता है। आज एवरेस्ट पर काफी हद तक यह नहीं मिलता। व्यावसायीकरण ने इसे एक भीड़-भाड़ वाले, निश्चित-रस्सी मार्ग में बदल दिया है। जहां आपकी सफलता शेरपाओं की विशेषज्ञता पर निर्भर करती है। क्या आप वास्तव में पर्वतारोही हैं अगर शिखर तक पहुंचने के लिए शेरपाओं के कौशल और अनुभव पर निर्भर हैं?

दुनिया के शिखर पर पर्यटक

पर्वतारोहण का मतलब अपनी सीमाओं को जानना है। खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से आगे बढ़ाना है। अगर आप पैसे देने वाले ग्राहक के रूप में एवरेस्ट पर चढ़ते हैं तो ऐसी चुनौती नहीं मिलती। आप एक पर्यटक बन जाते हैं, पर्वतारोही नहीं। आप रसद ले जाने, खतरों से बचने और शिखर तक जाने के लिए पेशेवरों की टीम पर निर्भर करते हैं।

पर्वतारोहण के संभावित प्रायोजकों के लिए एक शब्द

कई युवा पर्वतारोही अपने एवरेस्ट अभियान के लिए धन जुटाते हैं। ऐसे लोगों को अपना समर्थन देने से पहले विचार करें। क्या आप पर्वतारोहण के लिए वास्तविक जुनून को बढ़ावा दे रहे हैं या किसी खतरनाक और बेकार की परियोजना में पैसे लगा रहे हैं? ऐसे अनगिनत प्रतिभाशाली लोग हैं जिनके पास इनोवेटिव विचार हैं। उन्हें आपके समर्थन से लाभ हो सकता है। उन लोगों में निवेश करें जो खोज की सीमाओं को आगे बढ़ाएंगे न कि उन लोगों में जो पहले से ही अच्छी तरह से चले आ रहे पहाड़ पर जाकर प्रसिद्धि की तलाश में हैं।

एवरेस्ट के अलावा भी हैं चुनौतीपूर्ण पहाड़

भारत में आश्चर्यजनक और चुनौतीपूर्ण पहाड़ों की भरमार है। ऐसी चोटियां हैं जहां खतरा कम है और रोमांच मिलता है। हिमालय आपको लुभाता है तो कुमाऊं, गढ़वाल, कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में मौजूद पहाड़ों की चढ़ाई कर सकते हैं। ये पहाड़ आपके कौशल की परीक्षा लेंगे। अपनी खूबसूरती से मंत्रमुग्ध कर देंगे। एवरेस्ट पर जाने से पहले इन चोटियों पर अपने पर्वतारोहण कौशल और अनुभव को निखारने पर ध्यान दें।

यात्रा को गले लगाएं, सिर्फ मंजिल को नहीं

पर्वतारोहण का असली इनाम केवल शिखर तक पहुंचने में नहीं बल्कि यात्रा में है। साथी पर्वतारोहियों के साथ दोस्ती, हर कदम के साथ सामने आने वाले लुभावने नजारे और कठिन इलाकों को पार करने में उपलब्धि की गहरी भावना, ये सभी ऐसे अनुभव हैं जिन पर एवरेस्ट का एकाधिकार नहीं हो सकता। पहाड़ों की एक पूरी दुनिया है जिसे खोजा जाना बाकी है। इनमें से प्रत्येक की अपनी अनूठी चुनौतियां और पुरस्कार हैं।

लेखक के बारे में:- विंग कमांडर अमित चौधरी, वीएसएम एक प्रतिष्ठित भारतीय पर्वतारोही हैं। उनका साहसिक खेलों के क्षेत्र में गहरा प्रभाव रहा है। उन्होंने 2005 में माउंट एवरेस्ट पर भारतीय वायुसेना के पहले अभियान का नेतृत्व किया था। चौधरी का व्यापक अनुभव हिमालय में कई अभियानों तक फैला हुआ है। इसमें माउंट जोगिन, कामेट और सतोपंथ की सफल चढ़ाई शामिल है। रिटायरमेंट के बाद वे भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन और UIAA में प्रमुख व्यक्ति रहे हैं। वे पर्वत सुरक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देते हैं। चौधरी को 2014 में लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड से सम्मानित किया गया था। वे वर्तमान में UIAA (पर्वतारोहण के लिए अंतर्राष्ट्रीय महासंघ) के उपाध्यक्ष हैं।

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