कृषि मंत्रालय के अनुसार, इस खरीदी का लाभ 1.6 करोड़ से अधिक किसानों ने उठाया है।
MSP rate procurement: देश की सरकार ने बीते नौ साल में एमएसपी पर खाद्यान्न खरीद में करीब तीस प्रतिशत की वृद्धि की है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2014-15 में देश में खाद्यान्न खरीद 761.40 लाख मीट्रिक टन हुए थे जोकि 2022-23 में बढ़कर 1062.69 लाख मीट्रिक टन हो चुका है। कृषि मंत्रालय के अनुसार, इस खरीदी का लाभ 1.6 करोड़ से अधिक किसानों ने उठाया है।
2.28 लाख करोड़ हुए खर्च
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों की मानें तो देश में खाद्यान्नों की खरीद 2014-15 में 761.40 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2022-23 में 1062.69 लाख मीट्रिक टन हो गई है। इससे 1.6 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ हुआ है। एमएसपी पर हुई इस खरीदी में खाद्यान्नों को खरीदने का खर्च 1.06 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2.28 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
किस खाद्यान्न पर 10 साल में कितना हुआ खर्च
पिछले दस सालों में सरकार ने 6751 एलएमटी धान खरीदने के लिए 12.18 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। जबकि 3073 एलएमटी गेहूं खरीदने के लिए 5.44 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। जबकि 2004-2014 की अविध में तत्कालीन सरकार ने 4590 एलएमटी धान खरीदने के लिए 4.40 लाख करोड़ रुपये और 2140 एलएमटी गेहूं खरीदने के लिए 2.27 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे।
क्या है एमएसपी?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) एक ऐसी महत्वपूर्ण व्यवस्था है, जिसके जरिए सरकार पूर्व-निर्धारित मूल्य पर किसानों की फसल खरीदती है। हर साल भारत सरकार 22 प्रमुख कृषि जिन्सों के लिए एमएसपी की घोषणा करती है। इनमें 14 खरीफ फसलें, 6 रबी फसलें और 2 व्यावसायिक फसलें शामिल होती हैं। इसके अलावा, तोरिया और छिलके रहित नारियल के लिए एमएसपी भी क्रमशः रेपसीड एवं सरसों और कोपरा के एमएसपी के आधार पर तय किया जाता है।
यह भी पढ़ें:
Lok Sabha election 2024: 20 करोड़ यूथ के लिए शुरू हुआ 'मेरा पहला वोट देश के लिए' अभियान