उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता और अपराधी मुख्तार अंसारी की कल गुरुवार (28 मार्च) को बांदा के एक अस्पताल में हार्ट अटैक की वजह से मौत हो गई। इस मौत के बाद उत्तर प्रदेश में तनाव की स्थिति बन गई है।
मुख्तार अंसारी का इतिहास। उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता और अपराधी मुख्तार अंसारी की कल गुरुवार (28 मार्च) को बांदा के एक अस्पताल में हार्ट अटैक की वजह से मौत हो गई। इस मौत के बाद उत्तर प्रदेश में तनाव की स्थिति बन गई है। इसको ध्यान में रखते हुए राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद रखने की हिदायत दी गई है। मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उसके अंतिम संस्कार की तैयारियां भी शुरू कर दी गई है। हालांकि, उनके परिवार वालों का कहना है कि उनकी मौत नहीं हत्या की गई है, क्योंकि उनके वकील ने शिकायत की थी कि उनके खाने में स्लो पॉइजन दिया जा रहा था, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई। फिलहाल ये एक जांच का विषय है।
मुख्तार अंसारी के अगर राजनीतिक करियर की बात करें तो ये भी काफी दिलचस्प है। मुख्तार अंसारी की जिंदगी की कहानी किसी गैंगस्टर मूवी से कम नहीं है। मुख्तार अंसारी ने उत्तर प्रदेश में अपराध और राजनीति की दुनिया में पैर फैलाया। इस दौरान गैंगस्टर-राजनेता पर हत्या से लेकर जबरन वसूली तक के 65 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे और विभिन्न राजनीतिक दलों के टिकट पर पांच बार विधायक चुने गए थे।1963 में एक प्रभावशाली परिवार में जन्मे अंसारी ने खुद को और अपने गिरोह को सरकारी ठेका माफिया में स्थापित करने के लिए अपराध की दुनिया में प्रवेश किया, जो उस समय राज्य में फल-फूल रहा था।
मुख्तार अंसारी की अपराध और राजनीति में करियर
मुख्तार अंसारी का अपराध से जुड़ाव 1978 में ही शुरू हो गया था, जब वो मात्र 15 साल का था। उस पर कानून का शिकंजा तब कसा जब उस पर गाजीपुर के सैदपुर पुलिस स्टेशन में आपराधिक धमकी का मामला दर्ज किया गया। हालांकि, इसके लगभग 1 दशक बाद वो ठेका माफिया मंडली में एक जाना-पहचाना चेहरा बन चुका था। इसी साल मुख्तार के खिलाफ गाजीपुर के मुहम्मद पुलिस स्टेशन में हत्या का एक और मामला दर्ज किया गया था। ठीक इसके अगले 10 सालों में अंसारी अपराध का एक आम चेहरा बन गया और उसके खिलाफ गंभीर आरोपों के तहत कम से कम 14 और मामले दर्ज किए गए।
हालांकि, उसका बढ़ता आपराधिक ग्राफ राजनीति में उनके प्रवेश में बाधा नहीं बना। इसके चलते अंसारी पहली बार 1996 में मऊ से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर यूपी विधानसभा में विधायक चुने गए थे। उन्होंने 2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में इस सीट पर अपना सफल प्रदर्शन जारी रखा।
साल 2005 से अलग-अलग जेलों में कैद
मुख्तार अंसारी ने 2012 में कौमी एकता दल (QED) लॉन्च किया और मऊ से फिर से जीत हासिल की।2017 में वह फिर से मऊ से जीते। 2022 में उन्होंने अपने बेटे अब्बास अंसारी के लिए सीट खाली कर दी, जो सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर इस सीट से जीते थे। हालांकि, साल 2005 से अपनी मौत तक अंसारी यूपी और पंजाब की अलग-अलग जेलों में बंद था।उन्हें सितंबर 2022 से आठ आपराधिक मामलों में दोषी ठहराया गया था और विभिन्न अदालतों में 21 मामलों में मुकदमे का सामना करना पड़ रहा था।
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