NARI 2025 Report: महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित शहर कोहिमा, जानें सबसे नीचे आया किसका नाम

Published : Aug 28, 2025, 06:46 PM IST
woman talking phone

सार

Women Safety Index 2025 की रिपोर्ट में कोहिमा, विशाखापत्तनम, भुवनेश्वर, आइजोल, गंगटोक, ईटानगर और मुंबई को महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित शहर माना गया है। 31 शहरों के 12,770 महिलाओं के सर्वे पर आधारित इस रिपोर्ट में पटना सबसे निचले स्थान पर है।

Safe Indian Cities 2025: महिलाओं की सुरक्षा के मामले में भारत में पहले नंबर पर नागालैंड का कोहिमा शहर है। इसके बाद विशाखापत्तनम, भुवनेश्वर, आइजोल, गंगटोक, ईटानगर और मुंबई का स्थान है। NARI (National Annual Report & Index on Women's Safety) 2025 के अनुसार ऊपर बताए गए शहर महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित स्थान बनकर सामने आए हैं। वहीं, पटना, जयपुर, फरीदाबाद, दिल्ली, कोलकाता, श्रीनगर और रांची सबसे निचले स्थान पर हैं।

NARI 2025 रिपोर्ट गुरुवार को जारी हुई। इसके लिए 31 शहरों में सर्वे किया गया। इसमें 12,770 महिलाओं ने हिस्सा लिया। सर्वे में राष्ट्रीय सुरक्षा स्कोर 65 प्रतिशत रखा गया। शहरों को इस मानक से "काफी ऊपर", "ऊपर", "पर", "नीचे" या "काफी नीचे" बेंचमार्क में बांटा गया।

कोहिमा महिला सुरक्षा में सबसे आगे

कोहिमा और दूसरे शहर जिन्हें अच्छा रैंक मिला वहां महिला और पुरुष के बीच अंतर कम देखा गया। महिलाओं को भागीदारी के समान अवसर मिले। पुलिस व्यवस्था और महिला-अनुकूल बुनियादी ढांचे थे। दूसरी ओर, पटना और जयपुर जैसे शहरों का प्रदर्शन कमजोर संस्थागत प्रतिक्रिया, पितृसत्तात्मक मानदंडों और शहरी बुनियादी ढांचे महिलाओं के अनुकूल व्यवस्था की कमी के चलते खराब रहा।

रिपोर्ट में कहा गया है, "कोहिमा, विशाखापत्तनम, भुवनेश्वर, आइजोल, गंगटोक, ईटानगर, मुंबई राष्ट्रीय सुरक्षा रैंकिंग में सबसे आगे हैं। इन शहरों को उच्च लैंगिक समानता, बुनियादी ढांचे, पुलिस व्यवस्था या नागरिक भागीदारी के चलते अच्छे अंक मिले हैं। वहीं, रांची, श्रीनगर, कोलकाता, दिल्ली, फरीदाबाद, पटना और जयपुर को सबसे कम अंक मिले हैं। ऐसा खराब बुनियादी ढांचे, पितृसत्तात्मक मानदंडों या कमजोर संस्थागत जवाबदेही के चलते हुआ है।"

10 में से 6 महिलाओं ने अपने शहर में खुद को माना सुरक्षित

सर्वे में शामिल 10 में से 6 महिलाओं ने अपने शहर में खुद को "सुरक्षित" महसूस किया, लेकिन 40 प्रतिशत ने अभी भी खुद को "इतना सुरक्षित नहीं" या "असुरक्षित" माना। पता चला कि रात में खासकर सार्वजनिक परिवहन और मनोरंजन स्थलों में सुरक्षित होने की भावना घटी है। शैक्षणिक संस्थान (86 प्रतिशत) खासकर दिन के उजाले में सुरक्षित हैं, लेकिन रात में या परिसर के बाहर सुरक्षा कम है।

करीब 91 प्रतिशत महिलाओं ने सुरक्षा की बात कही, लेकिन उनमें से करीब आधी महिलाओं को यह स्पष्ट नहीं था कि उनके कार्यस्थल पर POSH (यौन उत्पीड़न की रोकथाम) नीति है या नहीं। जिन महिलाओं ने कहा कि उनके कार्यस्थल पर यह नीति है आमतौर पर उन्होंने इसे प्रभावी माना। एक-चौथाई महिलाओं ने कहा कि उन्हें सुरक्षा संबंधी शिकायतों पर प्रभावी कार्रवाई के लिए अधिकारियों पर भरोसा है। 69 प्रतिशत ने कहा कि मौजूदा सुरक्षा प्रयास कुछ हद तक पर्याप्त हैं, जबकि 30 प्रतिशत से ज्यादा ने कहा कि कमी है।

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