पर्यावरण मंत्रियों की कॉन्फ्रेंस में PM मोदी-'अब देश का फोकस ग्रीन ग्रोथ पर है, ग्रीन जॉब्स पर है'

दुनियाभर में पर्यावरण को लेकर चिंतन जारी है।  पर्यावरण मंत्रियों के इस राष्ट्रीय सम्मेलन के जरिये भी लाइफ, जलवायु परिवर्तन, प्लास्टिक कचरे से निपटने, वन्यजीव और वन प्रबंधन से जुड़े मसलों का हल निकालने की एक कोशिश है।

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने 23 सितंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गुजरात के एकता नगर में आयोजित पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन(National Conference of Environment Ministers) का उद्घाटन किया। यह सम्मेलन लाइफ, जलवायु परिवर्तन, प्लास्टिक कचरे से निपटने, वन्यजीव और वन प्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर तालमेल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

अब देश का फोकस ग्रीन ग्रोथ पर है, ग्रीन जॉब्स पर है
मोदी ने कहा-भारत ने 2070 तक Net zero का टार्गेट रखा है। अब देश का फोकस ग्रीन ग्रोथ पर है, ग्रीन जॉब्स पर है। इन सभी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए, हर राज्य के पर्यावरण मंत्रालय की भूमिका बहुत बड़ी है। अपने कमिटमेंट को पूरा करने के हमारे ट्रैक रिकॉर्ड के कारण ही दुनिया आज भारत के साथ जुड़ भी रही है। बीते वर्षों में गिर के शेरों, बाघों, हाथियों, एक सींग के गेंडों और तेंदुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश में चीता की घर वापसी से एक नया उत्साह लौटा है। आज का नया भारत, नई सोच, नई अप्रोच के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत तेजी से विकसित होती इकोनॉमी भी है, और निरंतर अपनी  को भी मजबूत कर रहा है। हमारे forest cover में वृद्धि हुई है और wetlands का दायरा भी तेज़ी से बढ़ रहा है। हम ऐसे समय मिल रहे हैं, जब भारत अगले 25 साल के लिए नए लक्ष्य तय कर रहा है। मुझे विश्वास है कि आपके प्रयासों से पर्यावरण की रक्षा में भी मदद  मिलेगी और भारत का विकास भी उतनी ही तेज गति से होगा।

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पर्यावरण मंत्रियों से आग्रह
मोदी ने कहा-मैं देश के सभी पर्यावरण मंत्रियों से आग्रह करूंगा कि राज्यों में सर्कुलर इकॉनॉमी को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दें। इससे Solid Waste management और सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्ति के हमारे अभियान को भी ताकत मिलेगी। आजकल हम देखते हैं कि कभी जिन राज्यों में पानी की बहुलता थी, ग्राउंड वॉटर ऊपर रहता था, वहां आज पानी की किल्लत दिखती है। ये चुनौती सिर्फ पानी से जुड़े विभाग की ही नहीं है बल्कि पर्यावरण विभाग को भी इसे उतना ही बड़ी चुनौती समझना होगा।

हर राज्य में Forest Fire Fighting Mechanism मजबूत हो
मोदी ने कहा-परिवेश पोर्टल, पर्यावरण से जुड़े सभी तरह के clearance के लिए single-window माध्यम बना है। ये transparent भी है और इससे approval के लिए होने वाली भागदौड़ भी कम हो रही है। आठ साल पहले तक environment clearance में जहां 600 से ज्यादा दिन लग जाते थे, वहीं आज 75 दिन लगते हैं।
आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के बिना, देश का विकास, देशवासियों के जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास सफल नहीं हो सकता। लेकिन हमने देखा है कि Environment Clearance के नाम पर देश में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को कैसे उलझाया जाता था। Wild-Fire की वजह से Global Emission में भारत की हिस्सेदारी भले ही नगण्य हो, लेकिन हमें अभी से जागरूक होना होगा। हर राज्य में Forest Fire Fighting Mechanism मजबूत हो, Technology Driven हो, ये बहुत जरूरी है। आज का नया भारत, नई सोच, नई अप्रोच के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत तेजी से विकसित होती इकोनॉमी भी है, और निरंतर अपनी इकोलॉजी को भी मजबूत कर रहा है। हमारे forest cover में वृद्धि हुई है और wetlands का दायरा भी तेज़ी से बढ़ रहा है।

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जानिए सम्मेलन के बारे में
23 और 24 सितंबर को आयोजित होने वाले इस दो दिवसीय सम्मेलन में 6 विषयगत सेशन होंगे। इनमें 'लाइफ', जलवायु परिवर्तन से निपटना (उत्सर्जन के शमन और जलवायु प्रभावों के अनुकूलन के लिए जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजनाओं को अपडेट करना); परिवेश (एकीकृत हरित मंजूरी के लिए सिंगल विंडो सिस्टम); वानिकी प्रबंधन; प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण; वन्यजीव प्रबंधन; प्लास्टिक और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

यह भी जानें
सहकारी संघवाद(सामूहिक प्रयास) की भावना को आगे बढ़ाते हुए ये सम्मेलन आयोजित किया गया है, ताकि बेहतर नीतियां बनाने में केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच और अधिक तालमेल बनाया जा सके। इन नीतियों से जुड़े विषय हैं-बहु-आयामी दृष्टिकोण(multidimensional approach) के जरिए प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करना, 'लाइफ-लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट' पर ध्यान केंद्रित करने के साथ जलवायु परिवर्तन से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए राज्य कार्य योजनाएं आदि। इसमें डीग्रेडेड भूमि(भूमि का कटाव या क्षरण) की बहाली और वन्यजीव संरक्षण पर विशेष जोर देने के साथ वन क्षेत्र को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

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