Space Day: साइकिल-बैलगाड़ी से चांद तक 10 प्वाइंट में जानें ISRO की सक्सेस स्टोरी

भारत अपना पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (National Space Day) मना रहा है। इस अवसर पर जानते हैं इसरो की 10 उपलब्धियां जिन्होंने भारत को स्पेस सेक्टर में बड़ी ताकत बनाया।

Vivek Kumar | Published : Aug 23, 2024 2:09 AM IST / Updated: Aug 23 2024, 07:47 AM IST

नई दिल्ली। भारत शुक्रवार को अपना पहला नेशनल स्पेस डे (National Space Day 2024) मना रहा है। 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान 3 सफलतापूर्वक चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा था। इसके साथ ही भारत चंद्रमा के इस इलाके में उतने वाला पहला देश बना था। भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन चांद पर पहुंचे, लेकिन दक्षिण ध्रुव तक नहीं। इस सफलता की याद में 23 अगस्त को नेशनल स्पेस डे मनाया जा रहा है।

भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO (Indian Space Research Organization) की गिनती दुनिया की सबसे अच्छी स्पेस एजेंसियों में होती है। इसरो की सफलता की कहानी बेहद प्रेरणादायी है। एक समय था जब भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिक साइकिल और बैलगाड़ी पर रखकर रॉकेट को लॉन्च करने के लिए ले गए थे। आइए 10 प्वाइंट में इसरो की बड़ी उपलब्धियां जानते हैं।

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1- 1962 में हुआ था इसरो का गठन

इसरो का गठन 1962 में विक्रम साराभाई और कल्पति रामकृष्ण रामनाथन के नेतृत्व में हुआ था। उस समय इनके पास संसाधन नहीं थे। वैज्ञानिकों का एक छोटा समूह था। एक साल बाद 1963 में उन्होंने पहला रॉकेट लॉन्च किया। रॉकेट के पुर्जे लॉन्च पैड तक साइकिल पर रखकर ले जाए गए थे।

ऊपरी वायुमंडल की जांच करने के लिए बनाए गए साउंडिंग रॉकेट को केरल के थुंबा गांव के इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन से लॉन्च किया गया था। इसे अब विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के नाम से जाना जाता है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम उस समय रॉकेट लॉन्च टीम में थे।

2. आर्यभट्ट था भारत का पहला उपग्रह

आर्यभट्ट भारत का पहला उपग्रह था। इसे 19 अप्रैल 1975 को सोवियत कोस्मोस-3एम रॉकेट से लॉन्च किया गया था। उपग्रह का डिजाइन और निर्माण पूरी तरह इसरो द्वारा किया गया था। इसका नाम प्रसिद्ध भारतीय खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था।

3. इसरो ने 1980 में लॉन्च किया था पहला सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल

इसरो ने 18 जुलाई 1980 को पहला सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल लॉन्च किया था। इसका नाम SLV-3 (सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-3) था। चार चरण वाले इस रॉकेट में ठोस इंधन इस्तेमाल किया गया था। इसका वजन 17 टन और ऊंचाई 22 मीटर थी। यह पृथ्वी की निचली कक्षा तक 40kg का पेलोड पहुंचाने में सक्षम था। इसके द्वारा रोहिणी उपग्रह (RS-1) को अंतरिक्ष में स्थापित किया गया था। भारत यह क्षमता पाने वाला छठा देश बना था।

4- APPLE था इसरो का पहला संचार उपग्रह

एरियन पैसेंजर पेलोड एक्सपेरीमेंट (APPLE) इसरो का पहला स्वदेशी प्रायोगिक संचार उपग्रह था। इसे 19 जून 1981 को यूरोपीय रॉकेट एरियन -1(वी-3) से फ्रेंच गुयाना के कोउरो से लॉन्च किया गया था। इसे ले जाने के लिए इसरो ने बैलगाड़ी का इस्तेमाल किया था।

5. इसरो के PSLV ने 1997 में भरी थी पहली उड़ान

इसरो के सबसे सफल रॉकेट PSLV (पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) ने 1997 में अपनी पहली उड़ान भरी थी। इसके बाद से इस रॉकेट के विभिन्न संस्करणों का इस्तेमाल उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए किया गया है।

7. इसरो ने 1999 में पहली बार एक साथ भेजे थे एक से अधिक उपग्रह

इसरो ने 1999 में पहली बार PSLV ने तीन अलग-अलग उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया था। इनमें से एक भारतीय, एक कोरियाई और एक जर्मन था।

8. 2001 में इसरो ने लॉन्च किया था पहला GSLV

इसरो ने अपने पहले GSLV (जियो-सिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) को पहली बार 2001 में लॉन्च किया था। GSLV भारी रॉकेट है। इसका इस्तेमाल बड़े उपग्रह को जियो-सिंक्रोनस ऑर्बिट में स्थापित करने में होता है।

9. इसरो ने 2007 में पहली बार लॉन्च रिकवर किया

इसरो ने अंतरिक्ष में इंसान भेजने के मिशन में पहली सफलता 2007 में पाई। पहली बार स्पेस कैप्सूल रिकवरी एक्सपेरीमेंट (एसआरई -1) लॉन्च किया। इस दौरान इसरो ने टेस्ट किया कि अंतरिक्ष से इंसान को किस तरह वापस लाना है।

10. मिशन चंद्रयान की सफलता के बाद अब गगनयान और स्पेस स्टेशन

2008 में इसरो ने चंद्रयान 1 लॉन्च किया था। इस मिशन में इसरो ने एक उपग्रह को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया। इसके बाद इसरो ने चंद्रयान 2 लॉन्च किया। यह मिशन आंशिक रूप से सफल रहा। चंद्रयान दो चंद्रमा पर ठीक से उतर नहीं सका। चंद्रयान तीन के रूप में इसरो को चांद पर उतरने में कामयाबी मिली। अब इसरो मिशन गगनयान से अंतरिक्ष में इंसान भेजने और आगे चलकर स्पेस स्टेशन स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है।

यह भी पढ़ें- क्या है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन, कैसे रहते हैं यहां लोग, जानें सभी जरूरी बातें

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