रक्तदान महादान: अहमदाबाद के एक परिवार ने दिया 630 लीटर खून

अहमदाबाद के पटेल परिवार के 27 सदस्यों में से 16 ने 50 से अधिक बार रक्तदान किया है, और कुल मिलाकर परिवार ने लगभग 1,400 यूनिट रक्तदान किया है। यह परंपरा उनके चाचा से शुरू हुई थी जो सत्य साईं बाबा से प्रेरित थे।

अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद के मानेकबाग में रहने वाले पटेल परिवार में चार भाई एक बहन समेत 27 सदस्य हैं। इस परिवार के 16 सदस्यों ने 50 बार से अधिक रक्तदान किया है। इनमें से चार ऐसे भी हैं जिन्होंने 100 से ज्यादा बार रक्तदान किया है। कुल मिलाकर इस परिवार के लोगों ने अब तक लगभग 1,400 यूनिट रक्तदान किया है। एक यूनिट में 450ml खून होता है। इस तरह देखें तो परिवार के लोगों ने कुल करीब 630 लीटर खून दूसरों के काम आए इसके लिए दिया है।

भारत में 1 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर अहमदाबाद में 130 ऐसे रक्तदाताओं ने रक्तदान किया, जिन्होंने 100 बार यह काम किया है। इनमें तीन महिला हैं।

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अहमदाबाद के दो परिवारों ने किया है 900 लीटर से अधिक रक्तदान

इन दिग्गजों के बीच दो परिवारों ने 900 लीटर से अधिक रक्तदान करने का गौरव प्राप्त किया है। पटेल परिवार ने अब तक कुल 630 लीटर और मावलंकर परिवार ने 356 लीटर रक्तदान किया है। पटेल परिवार के सदस्य डॉ. मौलिन पटेल ने कहा कि हमारे परिवार में यह परम्परा मेरे चाचा रमेशभाई से शुरू हुई। वह सत्य साईं बाबा से प्रेरित थे और दान की प्रथा शुरू करना चाहते थे।

मौलिन पटेल ने कहा कि मेरे चाचा ने 1985 में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के लिए नियमित रक्तदान शुरू किया था। उन्होंने 94 बार रक्तदान किया है। उनके बेटे अमूल ने 103 बार रक्तदान किया है। आज तीसरी पीढ़ी इस विरासत को आगे बढ़ा रही है। मेरी बहन डिंपल भीमनी ने 103 बार रक्तदान किया है। मेरे माता-पिता (अब अमेरिका में हैं) ने 98-98 बार रक्तदान किया है।

डिंपल भीमनी ने कहा कि आम तौर पर महिलाएं रक्तदान के लिए आगे नहीं आतीं हैं। मुझे मेरे परिवार से पूरा समर्थन मिला। नियमित रूप से रक्तदान करने की प्रेरणा मिली।

मावलंकर परिवार ने भारत-चीन युद्ध के समय शुरू किया था रक्तदान

वहीं, मावलंकर परिवार के लिए विरासत 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान सैनिकों के लिए रक्तदान करने के लिए भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी (IRCS) की स्थापना के साथ शुरू हुई। मावलंकर अहमदाबाद में इकाई के सह-संस्थापकों में से एक थे। चार भाइयों के परिवारों से 24 रक्तदाता हैं। उनके भतीजे सिद्धार्थ मावलंकर 180 रक्तदान के साथ सबसे बड़े रक्तदाताओं में से एक हैं।

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