कौन हैं नवीन पटनायक के करीबी वीके पांडियन, जानें उनके बारे में 7 खास बातें

नवीन पटनायक के करीबी सहयोगी वीके पांडियन ने सक्रिय राजनीति छोड़ दी है। ओडिशा में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पटनायक की पार्टी बीजेडी की हार के बाद उन्होंने यह फैसला लिया है। पांडियन ने वीडियो जारी कर माफी मांगी है।

नई दिल्ली। ओडिशा के निवर्तमान मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी सहयोगी वीके पांडियन ने सक्रिय राजनीति छोड़ दी है। रविवार को उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर इसकी घोषणा की।

ओडिशा में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पटनायक की पार्टी बीजेडी को हार मिली है। इस हार के लिए पार्टी नेता पांडियन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। चुनाव के दौरान पांडियन का एक वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में पांडियन नवीन पटनायक के कांपते हाथ को पड़कर छिपाते दिखे थे। इसके बाद भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया था कि पांडियन ने नवीन पटनायक को अपने कंट्रोल में किया हुआ है।

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कौन हैं वीके पांडियन?, जानें 7 खास बातें

1- वीके पांडियन पूर्व नौकरशाह हैं। वह IAS रहे हैं। उन्होंने अपने सिविल सेवा करियर से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है। पांडियन को 5टी (transformational initiatives) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

2- नवीन पटनायक की सरकार में वीके पांडियन को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला हुआ था। वह सीधे नवीन पटनायक के अधीन काम करते थे।

3- पांडियन इससे पहले नवीन पटनायक के निजी सचिव के रूप में काम कर चुके हैं।

4- नवीन पटनायक की सरकार ने 5T गवर्नेंस चार्टर शुरू किया था। यह पारदर्शिता, टेक्नोलॉजी, टीमवर्क और परिवर्तन पर केंद्रित था। गवर्नेंस चार्टर का काम वीके पांडियन के नेतृत्व में होता था।

5- वीके पांडियन ने श्री जगन्नाथ हेरिटेज कॉरिडोर जैसी बड़ी परियोजनाओं को जमीन पर उतारा। इस परियोजना का उद्देश्य प्राचीन श्री जगन्नाथ मंदिर के चारों ओर 75 मीटर चौड़ा गलियारा बनाना है। इससे जगन्नाथ मंदिर को लोग दूर से देख पाएंगे। मंदिर की सुरक्षा की बढ़ेगी। उनकी देखरेख में ओडिशा भर में प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार हुआ है।

6- 2000 बैच के आईएएस अधिकारी पांडियन ने धर्मगढ़ में उप-कलेक्टर के रूप में नौकरी शुरू की थी। इसके बाद वह मयूरभंज और गंजम में जिला कलेक्टर बने थे।

7- पांडियन ओडिशा सरकार के 'Mo Sarkar' कार्यक्रम में भूमिका निभाई है। इसे शासन में नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था। इससे सरकारी अधिकारी अपने काम करने के लिए जवाबदेह बने।

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