अदृश्य हाथ, अनोखी जांच: जबरदस्त मोटीवेशन वाली है नेहा सूरी की कहानी

दृष्टिहीन नेहा सूरी, भारत की पहली महिला मेडिकल टैक्टाइल एग्जामिनर में से एक, स्पर्श से स्तन कैंसर का पता लगाती हैं। महिलाओं का विश्वास जीतकर, वे अनोखे तरीके से स्तन परीक्षा करती हैं और कैंसर के खिलाफ जंग में एक प्रेरणा बन गई हैं।

भारत में स्तन कैंसर (Breast Cancer) से पीड़ित महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। एक तरफ महिलाओं में इसके बारे में जागरूकता की कमी है, तो दूसरी तरफ इलाज कराने में झिझक के कारण कई महिलाओं को समय पर इलाज नहीं मिल पाता। कैंसर का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं और इसे एक कलंक की तरह देखते हैं। सार्वजनिक रूप से इसके बारे में बात करने, बिना झिझक अस्पताल जाने और इलाज कराने वाली महिलाओं की संख्या बहुत कम है। पुरुष डॉक्टरों से स्तन परीक्षा कराने में महिलाएं हिचकिचाती हैं। ऐसे में नेहा सूरी (Neha Suri) एक अद्भुत काम कर रही हैं। महिलाओं का विश्वास जीतकर स्तन परीक्षा (breast exam) करने वाली नेहा सूरी खुद एक दृष्टिहीन महिला हैं।

नेहा सूरी कौन हैं? : नेहा सूरी एक मेडिकल टैक्टाइल एग्जामिनर (MTE) के रूप में स्तन कैंसर का पता लगाने का काम करती हैं। वे भारत की पहली महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने मेडिकल टैक्टाइल एग्जामिनर के रूप में प्रशिक्षण लिया है। नेहा सूरी जन्म से ही एक आनुवंशिक आँखों की बीमारी रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा से पीड़ित हैं। 44 वर्षीय नेहा सूरी केवल हल्के और गहरे रंगों में अंतर कर सकती हैं, लेकिन पढ़ नहीं सकतीं और न ही चेहरों को पहचान सकती हैं। सूरी ने अपनी इस कमी को अपनी ताकत बना लिया है। 2016 में अपने पति की हड्डी के कैंसर से मृत्यु के बाद, अपने बेटे के कहने पर उन्होंने यह प्रशिक्षण लिया और अब लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं।

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नेहा सूरी, स्पर्श के माध्यम से स्तन कैंसर की जांच करती हैं और इस दौरान महिलाओं से बातचीत भी करती हैं। इसमें आमतौर पर 30 से 40 मिनट लगते हैं। वे बहुत शांत और कोमलता से अपना काम करती हैं। नेहा सूरी कहती हैं कि मरीज का विश्वास जीतना सबसे बड़ी चुनौती होती है। दूसरों की मदद करना और जान बचाना उन्हें बहुत संतुष्टि देता है। अपने पिता के सपने को पूरा करते हुए मेडिकल क्षेत्र में आईं नेहा का मानना है कि दृष्टिहीन लोग यह काम आसानी से कर सकते हैं।

भारत में 1.5 करोड़ दृष्टिहीन लोग हैं। इनमें से केवल 5 प्रतिशत ही नौकरी करते हैं। नेहा का मानना है कि अगर दृष्टिहीन महिलाओं को सही प्रशिक्षण दिया जाए तो वे यह काम आराम से कर सकती हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि दृष्टिहीन लोगों में सुनने, छूने और अन्य इंद्रियों की क्षमता अधिक होती है और उन्हें इन इंद्रियों को और विकसित करने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

दुनिया भर में स्तन कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। 50 साल से कम उम्र की महिलाओं में 18 प्रतिशत नए मामले सामने आ रहे हैं। 50 साल से कम उम्र की महिलाओं को मैमोग्राम की सलाह नहीं दी जाती। इसलिए, स्तन स्पर्श परीक्षा दुनिया भर में स्तन कैंसर की जांच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अगर शुरुआत में ही स्तन कैंसर का पता चल जाए तो 90 प्रतिशत मामलों में इसे ठीक किया जा सकता है। लेकिन शुरुआत में इसका पता लगाना ही मुश्किल होता है। ऐसे में नेहा सूरी जैसी महिलाएं मददगार साबित हो सकती हैं।

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