
DMK Vs BJP: केंद्र सरकार की तीन भाषा पॉलिसी पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। दक्षिण राज्य तमिलनाडु ने जबरिया हिंदी थोपने का आरोप लगाया है। डीएमके ने बीजेपी पर देश में विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया है। डीएमके (DMK) सांसद ए राजा (A Raja) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की भाषा संबंधी टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया भी दी है।
राजा ने कहा: प्रधानमंत्री ने एक कार्यक्रम में कहा कि कुछ लोग भाषा के नाम पर देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आप हमें भाषा के नाम पर देश तोड़ने वाला मानते हैं तो क्या हमें यह संदेह नहीं होना चाहिए कि आप धर्म के नाम पर देश को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं?
उन्होंने आगे कहा कि यदि पीएम मोदी भाषा मुद्दे पर बोलते रहे तो कड़ी प्रतिक्रिया दी जाएगी। राजा ने कहा कि अगर आप भाषा पर बात करते रहे, तो हमारे डिप्टी चीफ मिनिस्टर कहेंगे 'Go Back Modi' और हम संसद में 'Shut up Modi' कहेंगे।
डीएमके सांसद ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी अलगाववाद का समर्थन नहीं करती लेकिन केंद्र सरकार की नीतियां उन्हें ऐसा सोचने पर मजबूर कर रही हैं। वहीं, तमिलनाडु कांग्रेस अध्यक्ष सेल्वपेरुंथगई ने भी केंद्र सरकार की तीन भाषा नीति (Three Language Policy) की आलोचना करते हुए कहा कि बीजेपी (BJP) आरएसएस (RSS) की विचारधारा तमिलनाडु में थोपने की कोशिश कर रही है लेकिन उनका सपना कभी पूरा नहीं होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा था कि भारत की भाषाओं के बीच कभी कोई दुश्मनी नहीं रही बल्कि वे एक-दूसरे को समृद्ध करती आई हैं। अक्सर जब भाषा को लेकर विभाजन की कोशिश होती है, तब हमारी साझा भाषाई विरासत इसका सबसे मजबूत जवाब देती है। हमें इन भ्रांतियों से दूर रहना चाहिए और सभी भाषाओं को समान रूप से अपनाना चाहिए। इसलिए हम देश की सभी भाषाओं को मुख्यधारा की भाषा मान रहे हैं।
इस बीच, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (MK Stalin) के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र की आलोचना करते हुए इसे 'काल्पनिक चिंताओं' पर आधारित बताया। प्रधान ने कहा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 किसी भी राज्य पर कोई भाषा थोपने की सिफारिश नहीं करती। इसका मतलब यह है कि एनईपी (NEP 2020) तमिलनाडु में हिंदी थोपने की सिफारिश नहीं करता।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (MK Stalin) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य के 'समग्र शिक्षा' (Samagra Shiksha) फंड जारी करने की मांग की थी। स्टालिन ने पत्र में चिंता जताई कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि तमिलनाडु को 'समग्र शिक्षा' फंड तब तक नहीं मिलेगा जब तक राज्य NEP 2020 में उल्लिखित 'तीन भाषा' नीति को लागू नहीं करता।
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