जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर NGT ने लगाया जुर्माना, ममथ और दूधगंगा को प्रदूषित करने पर 35 करोड़ रुपये की पेनाल्टी

पर्यावरण कार्यकर्ता राजा मुजफ्फर भट ने एनजीटी में शिकायत की थी। शिकायत के अनुसार दूध गंगा और ममथ की कुल धाराओं में अनट्रीटेड सीवज डिस्चार्ज किया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन की लापरवाहियों की वजह से पर्यावरण को नुकसान पहुंच ही रहा है सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। 

Dheerendra Gopal | Published : Oct 16, 2022 3:15 PM IST

NGT impose penalty on Jammu-Kashmir administration: जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जुर्माना लगाया है। दूध गंगा और ममथ की कुल धाराओं में अनट्रीटेड सीवेज डिस्चार्ज करने पर एनजीटी ने यह मुआवजा अदा करने का आदेश दिया है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन को निर्धारित अवधि में 35 करोड़ रुपये भरना होगा। एनजीटी ने रिपोर्ट में पाया कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन कचरा प्रबंधन करने में विफल तो रहा ही अवैध खननको भी नियंत्रित नहीं कर सका। प्रशासनिक गंभीर खामियों की वजह से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा है। इसकी वजह से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। 

पर्यावरण एक्टिविस्ट ने एनजीटी में की थी शिकायत

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पर्यावरण कार्यकर्ता राजा मुजफ्फर भट ने एनजीटी में शिकायत की थी। शिकायत के अनुसार दूध गंगा और ममथ की कुल धाराओं में अनट्रीटेड सीवज डिस्चार्ज किया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन की लापरवाहियों की वजह से पर्यावरण को नुकसान पहुंच ही रहा है सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। 

अतीत की विफलताओं की जवाबदेही तय होनी चाहिए

सुनवाई करते हुए ट्रिब्यूनल ने कहा कि उपचारात्मक कार्रवाई जमीन पर अपर्याप्त है। भविष्य के लिए प्रशासन वादा तो कर रहा है लेकिन अतीत की विफलताओं के लिए उसकी जवाबदेही तय की जानी चाहिए। जम्मू-कश्मीर प्रशासन को चूक के लिए 35 करोड़ रुपये का मुआवजा भुगतान करना होगा। एनजीटी ने कहा कि नाले में अनुपचारित सीवेज के निर्वहन के लिए 32 करोड़ रुपये और ठोस कचरे को संसाधित करने में विफलता के लिए 3 करोड़ रुपये का मुआवजा तय किया गया है। इसे मार्च तक जमा करना होगा। एनजीटी ने निर्देश दिया कि डिसेंट्रलाइज और सेंट्रलाइज एसटीपी की स्थापना के साथ दूधगंगा और ममथ में अनट्रीटेड सीवेज के डिस्चार्ज को रोकने के उपायों पर अगले साल 30 अप्रैल 2023 तक कोर्ट के सामने पेश की जाए। एनजीटी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर शहरी विकास के प्रमुख सचिव अगले साल 24 मई को वीडियो कांफ्रेंसिंग में पेश हों।

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