सार

वॉल स्ट्रीट जर्नल के विज्ञापन में 11 लोगों को नरेंद्र मोदी का 'मैग्निट्स्की 11' करार देते हुए दावा किया गया है कि इन सरकारी अधिकारियों ने राज्य के संस्थानों को कानून के शासन को खत्म करने, राजनीतिक और व्यावसायिक प्रतिद्वंद्वियों को निपटने के लिए हथियार बनाया है। विज्ञापन में उन पर निवेशकों के लिए भारत को असुरक्षित बनाने का आरोप लगाया।

Wall Street Journal anti-Modi Government Anti-Judiciary Ad: अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल में एंटी-मोदी गवर्नमेंट व न्यायपालिका के खिलाफ विज्ञापन ने हंगामा खड़ा कर दिया है। पूरे एक पेज के भारत विरोधी विज्ञापन में कार्यपालिका व न्यायापालिका को निशाना बनाया गया है। भारत में निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों को भी भड़काया गया है। आईटी मंत्रालय के सीनियर सलाहकार कंचन गुप्ता ने इसे 'धोखेबाजों द्वारा अमेरिकी मीडिया का शर्मनाक हथियार' करार दिया है।

विज्ञापन में किस पर निशाना साधा?

विज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता और वी रामसुब्रमण्यम, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड के चेयरमैन राकेश शशिभूषण सहित अन्य पर निशाना साधा गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अमेरिका दौरे के दौरान सामने आया है। वह विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत करने यूएस विजिट पर हैं। यूएस अखबार में दिए गए पूरे पेज के विज्ञापन में एक क्यूआर कोड भी है।

सरकारी सलाहकार ने साधा निशाना

सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सीनियर सलाहकार कंचन गुप्ता ने ट्विटर पर कहा कि यह केवल मोदी सरकार के खिलाफ अभियान नहीं था बल्कि न्यायपालिका और भारत की संप्रभुता के खिलाफ भी एक अभियान था। विज्ञापन को 'धोखेबाजों द्वारा अमेरिकी मीडिया का शर्मनाक हथियार' करार देते हुए गुप्ता ने कहा कि डब्ल्यूएसजे में दिखाई देने वाले भारत और उसकी चुनी हुई सरकार को लक्षित करने वाला चौंकाने वाला विज्ञापन अभियान भगोड़े रामचंद्र विश्वनाथन द्वारा चलाया जा रहा है, जो देवास के सीईओ थे। इस विज्ञापन को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम कमेंट किए जा रहे हैं।

 

क्या है इस WSJ विज्ञापन में?

वॉल स्ट्रीट जर्नल के विज्ञापन में 11 लोगों को नरेंद्र मोदी का 'मैग्निट्स्की 11' करार देते हुए दावा किया गया है कि इन सरकारी अधिकारियों ने राज्य के संस्थानों को कानून के शासन को खत्म करने, राजनीतिक और व्यावसायिक प्रतिद्वंद्वियों को निपटने के लिए हथियार बनाया है। विज्ञापन में उन पर निवेशकों के लिए भारत को असुरक्षित बनाने का आरोप लगाया। विज्ञापन में दावा किया गया है कि मोदी सरकार में कानून के शासन को खत्म कर दिया गया है इसलिए यह देश निवेश के लिए एक खतरनाक जगह बन चुका है। विज्ञापन में कहा गया है कि अमेरिकी सरकार से ग्लोबल मैग्निट्स्की ह्यूमन राइट अकाउंटेबिलिटी एक्ट के तहत आर्थिक और वीजा प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया गया था।

Global Magnitsky Act अमेरिकी राष्ट्रपति को, देश में प्रवेश से इनकार करने या पहले से जारी किसी भी वीजा को रद्द करने और अमेरिकियों को किसी भी विदेशी व्यक्ति या संस्था के साथ लेनदेन करने से प्रतिबंधित करने के लिए अधिकृत करता है। यह प्रतिबंध उन पर लगाया जाता है जिन पर न्याय की हत्या करने, यातना या कानून के राज का घोर उल्लंघन करने का आरोप है। 

थिंक टैंक बताया जा रहा है संगठन को

QR कोड को स्कैन करने पर फ्रंटियर्स ऑफ फ्रीडम (Frontiers of Freedom) की वेबसाइट का यूआरएल खुल जा रहा है। फ्रंटियर्स ऑफ फ्रीडम नामक संगठन की वेबसाइट के बायो में मजबूत राष्ट्रीय रक्षा, मुक्त बाजार, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संवैधानिक रूप से सक्षम सरकार को बढ़ावा देने वाला एक थिंक टैंक होने का दावा किया गया है। फ्रंटियर्स ऑफ फ़्रीडम के अध्यक्ष जॉर्ज लैंड्रिथ ने ट्विटर पर पोस्ट भी किया है। उन्होंने ट्वीट किया कि'इंडियाज़ मैग्निट्स्की 11, निर्मला सीतारमण, नरेंद्र मोदी और बीजेपी की कार्रवाइयां भारत में संभावित निवेशकों को स्पष्ट संदेश देती हैं कि देश निवेश के लिए एक ख़तरनाक जगह है।

 

विज्ञापन में भगोड़े रामचंद्रन विश्वनाथन का हाथ?

यूएस अखबार में दिया गया विज्ञापन, भारतीय भगोड़े रामचंद्रन विश्वनाथन के शातिर अभियान का हिस्सा बताया जा रहा है। विश्वनाथन को एंट्रिक्स-देवास सौदे में अनियमितताओं में कथित संलिप्तता पर ईडी ने भगोड़ा करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि देवास, जिस फर्म की उन्होंने सह-स्थापना की थी, वह भ्रष्टाचार में शामिल थी। विज्ञापन में ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा, सहायक निदेशक आर राजेश और उप निदेशक ए सादिक मोहम्मद सहित ईडी के अधिकारियों का भी नाम है। 

विश्वनाथन ने कोर्ट में लगाए कई आरोप

विश्वनाथन पर आरोप है कि इस साल अगस्त में एक याचिका दायर करने के लिए फ्रंटियर्स ऑफ फ्रीडम का इस्तेमाल किया। इस याचिका में दावा किया गया था कि मोदी सरकार खुफिया जानकारी हासिल करने, पूछताछ करने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए भारत और अमेरिका के बीच आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता संधि का उपयोग करने के लिए अमेरिकी सरकार को धोखा देने की कोशिश कर रही है।

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