
Pahalgam terror attack: पिछले महीने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम (Pahalgam) की बैसरन वैली (Baisaran Valley) में हुए आतंकवादी हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा किया है। एनआईए की जांच में पाकिस्तान का नापाक चेहरा सामने आ गया है। पहलगाम हमला पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba - LeT) की संयुक्त साजिश का नतीजा था।
NIA सूत्रों के अनुसार, इस हमले की साजिश LeT के पाकिस्तान स्थित मुख्यालय में रची गई थी। हमले में शामिल दो मुख्य आतंकी, हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और अली भाई उर्फ तल्हा भाई, पाकिस्तान के नागरिक थे और इन दोनों को ISI के सीनियर अफसरों से सीधे निर्देश मिल रहे थे।
दोनों आतंकी हमले से कई हफ्ते पहले भारत में दाखिल हुए थे और स्थानीय ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) के नेटवर्क ने उन्हें पनाह, रास्ता और रेकी जैसी ज़रूरी मदद दी। NIA ने घटनास्थल की 3D मैपिंग, मोबाइल टॉवर्स से डंप डेटा और 40 से अधिक कारतूसों की फॉरेंसिक जांच की है। हमले से पहले इलाके में तीन सैटेलाइट फोन सक्रिय पाए गए, जिनमें से दो की लोकेशन और सिग्नल ट्रेस किए गए हैं।
अब तक 2,800 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई है और 150 से अधिक संदिग्धों को हिरासत में रखा गया है। इनमें कुछ का संबंध प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी और हुर्रियत के गुटों से भी बताया जा रहा है। बारामुला, पुलवामा, सोपोर, अनंतनाग, और कुपवाड़ा जैसे इलाकों में NIA ने कई जगह छापेमारी की है।
1999 में हुए IC-814 हाइजैक केस के आरोपी और पाकिस्तान में छिपे आतंकी मुश्ताक अहमद ज़रगर उर्फ लाटरूम के श्रीनगर स्थित घर पर भी तलाशी ली गई। यह घर 2023 में UAPA के तहत अटैच किया गया था।
NIA ने पहलगाम और आसपास के इलाकों से CCTV फुटेज और चेकपोस्ट्स का डेटा इकट्ठा किया है। चश्मदीदों ने बताया कि आतंकी बॉडी कैमरा पहनकर घटना को रिकॉर्ड कर रहे थे जिससे अंदेशा है कि हमले का इस्तेमाल आतंकी प्रोपेगेंडा के लिए किया जा सकता है।
NIA ने इस हमले को 2024 के Z-Morh टनल हमले से भी जोड़ा है जिसमें 7 लोग मारे गए थे। दोनों घटनाओं में एक ही LeT समर्थित यूनिट के हाथ होने की संभावना है। हमले से पहले आतंकी 15 अप्रैल को पहलगाम पहुंचे थे और चार जगहों Baisaran, Aru, Betaab Valley और एक स्थानीय एम्यूज़मेंट पार्क का रेकी किया।
चार स्थानीय OGWs ने उन्हें Baisaran में ठहरने, मूवमेंट समझने और कमजोर सुरक्षा वाली जगह की पहचान में मदद की। हमले से दो दिन पहले उन्होंने पर्यटकों की गतिविधियों का पूरा अध्ययन किया था। 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 टूरिस्टों को आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया था। मरने वालों में एक नेपाली नागरिक भी था।