
Nimisha Priya Case: केरल की नर्स निमिषा प्रिया (Nimisha Priya) को यमन (Yemen) में 2017 में एक यमनी नागरिक की हत्या के मामले में फांसी की सज़ा सुनाई गई है। अब उसे बचाने की सारी उम्मीदें खत्म होती दिख रही है। भारत सरकार ने भी इस मामले में हाथ खड़े कर लिए हैं। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा कि हमने हर संभव कोशिश कर ली है, अब हमारी सीमा से बाहर का मामला यह हो चुका है। हमने एक प्रभावशाली शेख तक से बात की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
यमनी कानून के तहत 'ब्लड मनी' या 'दिया' (Diya) के जरिए क्षमा संभव है लेकिन मृतक तलाल अब्दो मेहदी के परिवार ने ₹8.5 करोड़ (1 मिलियन डॉलर) का ऑफर सम्मान का प्रश्न बताते हुए ठुकरा दिया है।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटारमणी (Attorney General R Venkataramani) ने कोर्ट में कहा कि निमिषा जिस इलाके में बंद हैं, वह हूती विद्रोहियों (Houthi Rebels) के कब्जे में है। भारत सरकार की कूटनीतिक पहुंच वहां बहुत सीमित है। हमने एक प्रभावशाली शेख तक से बात की लेकिन कुछ नहीं बदला।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने पूछा कि क्या भारत सरकार पीड़ित परिवार से सीधे संपर्क कर सकती है? इस पर AG ने कहा कि सरकार का वित्तीय सहयोग व्यक्तिगत निर्णय हो सकता है, कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं।
‘Save Nimisha Priya International Action Council’ के वकील ने कोर्ट में कहा कि अब केवल एक ही रास्ता है, अगर यमनी परिवार ब्लड मनी स्वीकार कर ले। हालांकि उन्होंने ये भी स्वीकार किया कि कई बार बढ़ाई गई राशि के बावजूद परिवार राज़ी नहीं हुआ।
2008 में बेहतर नौकरी की तलाश में यमन गईं निमिषा ने वहां अपनी खुद की क्लिनिक शुरू की। कानूनन एक स्थानीय साझेदार रखना अनिवार्य था इसलिए तलाल अब्दो मेहदी को पार्टनर बनाया गया। लेकिन वह लगातार उत्पीड़न करता रहा, पासपोर्ट भी जब्त कर लिया। 2017 में निमिषा ने उसे बेहोश करने के लिए सेडेटिव इंजेक्ट किया ताकि वह पासपोर्ट वापस ले सके लेकिन मेहदी की मृत्यु हो गई। उन्हें भागने के प्रयास में गिरफ्तार किया गया।
यमनी कानून के अनुसार, 'ब्लड मनी' को मृतक के परिजन किसी भी समय स्वीकार कर सकते हैं जिससे 'क़िसास' यानी फांसी टल सकती है। लेकिन समय बहुत कम बचा है। फांसी 16 जुलाई (बुधवार) को तय है।
कई सामाजिक कार्यकर्ताओं, खासकर बाबू जॉन और K.R. सुबाष चंद्रन, इस मामले में भारत सरकार से अंतिम क्षण तक पहल करने की अपील कर रहे हैं। उधर, निमिषा ने अभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी है। शायद आखिरी मिनट में परिवार का मन बदले लेकिन अगर कोई चमत्कार नहीं हुआ तो यह एक बहुत दर्दनाक अंत होगा।