नीती आयोग की रिपोर्ट में दावा: मिट्टी में आर्गेनिक मैटर को बढ़ाएगा गौमूत्र, गौशालाओं की अर्थव्यस्था भी सुधरेगी

नीती आयोग ने हाल ही में अपनी टास्क फोर्स रिपोर्ट जारी की है जिसमें मिट्टी की शुद्धता के लिए गौमूत्र का उपयोग करने की सलाह दी गई है। आयोग की रिपोर्ट यह भी बताती है कि इससे गौशालाओं की अर्थव्यवस्था भी सुधरेगी।

 

Manoj Kumar | Published : Mar 11, 2023 7:19 AM IST

NITI Aayog Report. नीती आयोग ने हाल ही में अपनी टास्क फोर्स रिपोर्ट जारी की है जिसमें मिट्टी की शुद्धता के लिए गौमूत्र का उपयोग करने की सलाह दी गई है। आयोग की रिपोर्ट यह भी बताती है कि इससे गौशालाओं की अर्थव्यवस्था भी सुधरेगी। यह रिपोर्ट 'प्रोडक्शन एंड प्रमोशन ऑफ आर्गेनिक एंड बायो बायोफर्टिलाइजर्स विद स्पेशल फोकस ऑन इंप्रूविंग द इकॉनमिक वायबिलिटी ऑफ गौशालास' के नाम से प्रकाशित की गई है।

कैटल वेस्ट का सही उपयोग कैसे हो

नीती आयोग के सीनियर एडवाइजर डॉ. नीलम पटेल ने कहा कि हमारा कांसेप्ट है कि कैटल वेस्ट का इफेक्टिव उपयोग कैसे किया जाए। यह विचार कैटल वेस्ट को खराब करने की वजाय उसे वेल्थ बनाने के जरिए को लेकर आया है। डॉ. नीलम पटेल नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफार्मिंग इंडिया द्वारा बनाए गए टास्क फोर्स की मेंबर सेक्रेटरी हैं। यह टास्क फोर्स गाय के गोबर, गौमूत्र के सदुपयोग को लेकर रिपोर्ट तैयार कर चुकी है। इस रिपोर्ट में कई बिंदुओं पर फोकस किया गया है। उन्होंने बीते शुक्रवार को रिपोर्ट जारी करते हुए इसके कांसेप्ट पर चर्चा की।

पारंपरिक खेती में होता रहा है उपयोग

पटेल ने कहा कि भारत में पारंपरिक रूप से खेती करने में बैलों की बड़ी भूमिका रही है। पहले सिर्फ बैलों से जुताई होती थी और उनका गोबर और मूत्र खेतों के आर्गेनिक मैटर को बढ़ाने का काम करता था। यह प्राकृतिक खेती को बढ़ाने का भी तरीका रहा है। उन्होंने कहा कि बैलों के वेस्ट, गाय का गोबर और गौमूत्र एग्रोकेमिलकल को रिप्लेस कर सकता है जिससे न सिर्फ मिट्टी की सेहत सुधरेगी बल्कि आर्गेनिक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। यह रिपोर्ट नीती आयोग के मेंबर रमेश चंद द्वारा जारी की गई है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि दक्षिण एशियाई देशों के लिए यह वरदान की तरह है और इससे जानवरों की संख्या और फसलों की उत्पादकता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि बीत 50 वर्षों में फर्टिलाइजर के उपयोग से असंतुलन पैदा हुआ है। यह इसे अपनाते हैं तो यह मिट्टी की सेहत, फसल की गुणवत्ता, वातावरण और मानव हेल्थ को बेहतर बनाएगा।

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