निजामुद्दीन की घटना सामान्य नहीं, बहुत बड़ी साजिश है...मनोज तिवारी ने कहा, जिसका डर था वही हुआ

आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह ने कहा, 23 मार्च को रात 12 बजे मैंने डीसीपी साउथ ईस्ट और एसीपी निजामुद्दीन को बता दिया था कि निजामुद्दीन मरकज में 1000 के आस पास लोग फंसे हुए हैं, फिर पुलिस ने इनको भेजने का इंतजाम क्यों नही किया?
 

Asianet News Hindi | Published : Mar 31, 2020 10:03 AM IST / Updated: Mar 31 2020, 03:43 PM IST

नई दिल्ली. दिल्ली के निजामुद्दीन में मरकज तब्लीगी जमात के जलसे से कोरोना का खतरा बढ़ गया है। इस बीच भाजपा नेता मनोज तिवारी ने कहा, निजामुद्दीन की घटना बहुत डराने वाली है। जिस बात का डर था वैसा ही समाचार आया है। जो लोग आए सभा किए वो भी बिना परमिशन लिए उनकी तह तक जांच होनी चाहिए। मुझे ये सामान्य घटना नहीं लग रही है इसके पीछे कोई बहुत बड़ी साजिश है।

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली पुलिस पर उठाए सवाल
आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह ने कहा, 23 मार्च को रात 12 बजे मैंने डीसीपी साउथ ईस्ट और एसीपी निजामुद्दीन को बता दिया था कि निजामुद्दीन मरकज में 1000 के आस पास लोग फंसे हुए हैं, फिर पुलिस ने इनको भेजने का इंतजाम क्यों नही किया?

कर्नाटक से 45 लोग गए थे, सिर्फ 13 का पता लगा है
कर्नाटक सरकार ने पुष्टि की है कि 10 मार्च को नई दिल्ली के निजामुद्दीन में मरकज तब्लीगी जमात में राज्य के 45 लोगों ने भाग लिया था।  लेकिन अभी तक सिर्फ 13 लोगों का पता लगाया जा सका है। कर्नाटक के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बी श्रीरामुलु ने कहा, तुमकुर में रहने वाले 65 साल के व्यक्ति का 27 मार्च को निधन हो गया। वह तब्लीगी में शामिल था। कर्नाटक में अब तक कोरोना के 98 मामले सामने आ चुके हैं। 
- असम सरकार के मुताबिक, दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात में राज्य से 299 लोग शामिल हुए थे। असम के स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, "हमने जिला प्रशासन को यह पता लगाने के लिए कहा है कि जो लोग निजामुद्दीन गए थे, क्या सभी लोग वापस आ गए हैं, इसका पता लगाए।

11 राज्यों से आए लोग हुए थे शामिल
निजामुद्दीन में जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, असम, उत्तर प्रदेश, अंडमान निकोबार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी और तमिलनाडु से लोग आए थे।

चार स्टेप में समझें क्या है निजामुद्दीन मरकज तब्लीगी जमात मामला?
1- दरअसल, निजामुद्दीन में 1 से 15 मार्च तक तब्लीगी जमात मरकज का जलसा था। यह इस्लामी शिक्षा का दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र है। यहां हुए जलसे में देश के 11 राज्यों सहित इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से भी लोग आए हुए थे। यहां पर आने वालों की संख्या करीब 5 हजार थी। जलसा खत्म होने के बाद कुछ लोग तो लौट गए, लेकिन लॉकडाउन की वजह से करीब 2 हजार लोग तब्लीगी जमात मरकज में ही फंसे रह गए। लॉकडाउन के बाद यह इकट्ठा एक साथ रह रहे थे। 
2- तब्लीगी मरकज का कहना है कि इस दौरान उन्होंने कई बार प्रशासन को बताया कि उनके यहां करीब 2 हजार लोग रुके हुए हैं। कई लोगों को खांसी और जुखाम की भी शिकायत सामने आई। इसी दौरान दिल्ली में एक बुजुर्ज की मौत हो गई। जांच हुई तो पता चला कि वह कोरोना संक्रमित था और वहीं निजामुद्दीन में रह रहा था। तब इस पूरे मामले का खुलासा हुआ। 
3- खुलासा होने के बाद तब्लीगी मरकज से 1034 लोगों को निकाला गया, जिसमें 24 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। मरकज से बसों के जरिए 34 चक्कर लगाए गए। इनमें से 334 को हॉस्पिटल में और 700 को क्वारंटीन सेंटर में शिफ्ट किया गया है। 
4- जो तब्लीगी मरकज से लौटकर अपने घर गए थे, वे भी कोरोना संक्रमित पाए गए। उनमें 10 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें तेलंगाना में 6, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर में एक-एक व्यक्ति की मौत कोरोना संक्रमण से मौत हुई है।

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