मणिपुर हिंसा पर सदन में पीएम मोदी के बयान नहीं देने पर विपक्षी दलों ने रणनीति अपनाते हुए अविश्वास प्रस्ताव लाया था। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जिसे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया।
Debate on No Confidence motion: पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तारीख तय कर दी गई है। मणिपुर हिंसा पर सदन में पीएम मोदी के बयान नहीं देने पर विपक्षी दलों ने रणनीति अपनाते हुए अविश्वास प्रस्ताव लाया था। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जिसे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया। लोकसभा अध्यक्ष ने बताया कि मणिपुर हिंसा को लेकर लोकसभा में सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर 8 अगस्त से 10 अगस्त तक बहस होगी।
26 जुलाई को पेश किया गया था अविश्वास प्रस्ताव
संसद के मानसून सत्र के दौरान 26 जुलाई को विपक्षी दलों की ओर से कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 50 सांसदों का आवश्यक समर्थन मिलने के बाद अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। इसके बाद स्पीकर ने कहा कि सभी दलों से चर्चा के बाद अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की तारीख की घोषणा की जाएगी। मंगलवार को लोकसभा सचिवालय की ओर से जानकारी दी गई कि अविश्वास प्रस्ताव पर 8 अगस्त से चर्चा शुरू होगी। 10 अगस्त को पीएम नरेंद्र मोदी अपना जवाब देंगे। इसके बाद वोटिंग कराई जाएगी।
20 जुलाई से लोकसभा-राज्यसभा में लगातार गतिरोध
संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू हुआ। 3 मई से जारी मणिपुर हिंसा में पूरे देश और विपक्ष का आक्रोश उस समय और बढ़ गया जब 19 जुलाई को एक वीडियो वायरल हुआ। 4 मई के इस वीडियो में दो महिलाओं को भीड़ द्वारा न्यूड परेड करते देखा जा सकता है। भीड़ महिलाओं के साथ बेहद अमानवीय व्यवहार कर रही है। उनके साथ सरेआम गैंगरेप किया गया। इस वीडियो के आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वत: संज्ञान में लेकर सरकार को कार्रवाई के लिए अल्टीमेटम दिया। उधर, अगले दिन मानसून सत्र के पहले ही दिन इस अमानवीय घटना को लेकर दोनों सदनों में बवाल हो गया। विपक्ष इस पर चर्चा की मांग करते हुए सदन को बाधित कर दिया। उस दिन से सदन में विपक्ष लगातार मणिपुर पर चर्चा कराने और सदन में इस पर पीएम के बयान को लेकर अड़ा हुआ है। पीएम का सदन में बयान नहीं होता देख विपक्ष ने रणनीति अपनाते हुए अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया।
अविश्वास प्रस्ताव का गिरना तय
हालांकि, संख्याबल के हिसाब से लोकसभा में विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव का गिरना तय है। एनडीए सरकार के पास पूर्ण बहुमत की संख्या है। लेकिन अविश्वास प्रस्ताव के बहाने दो दिनों तक विभिन्न मुद्दों पर लोकसभा में विस्तृत चर्चा होगी। इसके बाद इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बयान देना होगा। 2014 के बाद से यह दूसरी बार है जब मोदी सरकार को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ रहा है। लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव 20 जुलाई 2018 को पेश किया गया था। उस समय अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ 325 सांसदों ने वोट किया जबकि अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में 126 सांसदों ने वोट किया। इस बार भी बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास 330 सांसद से अधिक हैं। जबकि विपक्षी गठबंधन के पास 140 से अधिक सांसद हैं। 60 सांसद ऐसे हैं जो अभी तक न एनडीए का हिस्सा हैं न ही विपक्षी गठबंधन इंडिया का हिस्सा हैं। लोकसभा में 543 सीटे हैं जिसमें पांच सीटें खाली है।
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