दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने बड़ा फैसला करते हुए दिल्ली में पेड़ों की छंटाई (No Pruning of Trees) पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली में अब पड़ों की छंटाई के लिए अनुमति नहीं दी जाएगी।
No Pruning Of Trees Delhi. दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला करते हुए दिल्ली में पेड़ों की छंटाई पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली में अब पड़ों की छंटाई के लिए अनुमति नहीं दी जाएगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि दिल्ली में वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994 के तहत पेड़ों की छंटाई की अनुमति नहीं दी जाएगी।
डॉ. संजीव बगाई की याचिका पर आया फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट ने यह फैसला दक्षिणी दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. संजीव बगाई की याचिका पर दिया है। इसमें वसंत बिहार में करीब 800 पेड़ों की छंटाई को अनुचित करार दिया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस नजमी वजीरी ने यह फैसला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के उस आदेश के बाद आया है, जिसमें कहा गया है कि जरूरत न हो तो पेड़ों की छंटाई की अनुमति न दी जाए। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा कि दिल्ली संरक्षण अधिनियम 1994 के प्रावधानों और दिल्ली सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए।
याचिकाकर्तान के वकील ने क्या दलील दी
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक सिब्बल ने दिल्ली संरक्षण अधिनियम 1994 के तहत पेड़ों की छंटाई के लिए अपनाई गई प्रक्रिया और 1 अक्टूबर 2019 को पेड़ों की छंटाई के लिए दिशा-निर्देशों के पालन की मांग की है। सिब्बल ने तर्क दिया कि दिशानिर्देशों के आधार पर पेड़ों की छंटाई की अनुमति देने वाला विवादित आदेश गलत है क्योंकि इस तरह की छंटाई की अनुमति संबंधित प्राधिकरण द्वारा संबंधित पेड़ के साइट निरीक्षण या मूल्यांकन के बिना और बिना किसी पूर्व अनुमोदन के दी जाती है।
दिशानिर्देश और विवादित आदेश निजी पार्टियों/संस्थाओं को एमसीडी, डीडीए और पीडब्ल्यूडी के स्वामित्व वाली भूमि पर भी पेड़ों को काटने की अनुमति देता है। याचिका से सहमत होते हुए कोर्ट ने माना कि पेड़ एक जीवित प्राणी है। इसे कम से कम अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। पेड़ की कटाई की अनुमति देने या इसके जीवन में शाखाओं की छंटाई का निर्णय लेने से पहले अंतिम बार निरीक्षण किया जाना चाहिए।
कब दी जाती है पेड़ों की कटाई-छंटाई की अनुमति
कोर्ट ने मामले में इस बात का उल्लेख किया है कि पेड़ों को काटने की अनुमति केवल इस आधार पर दी जाती है कि पेड़ पुनर्निर्माण के रास्ते में आ रहे हैं। इससे तो देर-सबेर शहर पेड़ों से वंचित हो जाएंगे। एक तरह से यह पेड़ों कानूनी नरसंहार होगा और दिल्ली जल्द ही कंक्रीट के ढेर में बदल जाएगी। दिशा-निर्देश इन सभी चिंताओं पर खरा उतरते हैं और 15.7 सेमी तक की परिधि वाली पेड़ की शाखाओं की छंटाई के लिए सामान्य अनुमति प्रदान करते हैं।
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