कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने 2020-21 के लिए पेश आम बजट को वास्तविकता के धरातल से दूर करार देते हुए सोमवार को लोकसभा में कहा कि इसमें मंदी एवं बेरोजगारी से निपटने के लिए कोई रूपरेखा पेश नहीं की गई है।
नई दिल्ली. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने 2020-21 के लिए पेश आम बजट को वास्तविकता के धरातल से दूर करार देते हुए सोमवार को लोकसभा में कहा कि इसमें मंदी एवं बेरोजगारी से निपटने के लिए कोई रूपरेखा पेश नहीं की गई है।
लोकसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस ने बजट को निराशाजनक बताया
निचले सदन में हो रही, वर्ष 2020-21 के बजट पर सामान्य चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस की परनीत कौर ने कहा कि यह बजट निराशाजनक है और इसमें मनरेगा जैसी योजनाओं के लिए आवंटन में कटौती की गई है। उन्होंने दावा किया कि ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था और पंजाब की भी अनदेखी की गई है। कौर ने कहा कि मनरेगा और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए आवंटन बढ़ाया जाना चाहिए।
वहीं NCP ने लंबे समय तक पढ़े गए बजट को वास्तविकता से परे बताया
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने आरोप लगाया कि ढाई घंटे से अधिक समय तक पढ़ा गया बजट वास्तविकता से परे है। उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ सपने दिखा रही है, लेकिन यह नहीं बता पा रही है कि ये सपने पूरे कैसे होंगे। इस बजट में मंदी और बेरोजगारी से निपटने की कोई रूपरेखा पेश नहीं की गई है। सुप्रिया ने कहा कि केंद्र सरकार को पीएमसी बैंक के मामले से खाताधारकों को राहत देने के लिए महाराष्ट्र सरकार की मदद करनी चाहिए।
बजट किसान, युवा और दलित विरोधी- BSP
बसपा के गिरीश चंद्र ने बजट को ‘किसान, युवा और दलित विरोधी’ करार दिया और दावा किया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए आवंटन में कटौती की गई है। नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, लेकिन इससे लोगों की राजनीतिक आकांक्षाएं पूरी नहीं हो सकतीं।
उन्होंने कहा कि सरकार को जम्मू कश्मीर में पांच अगस्त, 2019 से पहले की स्थिति बहाल करनी चाहिए।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(फाइल फोटो)