CAA विरोधः नोबेल विजेता अमर्त्य सेन बोले, मैं शांति निकेतन में पैदा हुआ, नहीं है 'बर्थ सर्टिफिकेट'

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित और अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि नागरिकता कानून संविधान की भावना के खिलाफ है। मुझे लगता है कि इस कानून को खत्म कर देना चाहिए। सेन ने कहा कि उनके पास भी जन्म प्रमाण पत्र नहीं है।

कोलकाता. दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों से मारपीट के मुद्दे पर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इन सब के बीच नोबेल पुरस्कार से सम्मानित और अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने इस घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में छात्रों को सरकार के प्रतिद्वंदी के तौर पर देखा जा रहा है।
JNU हिंसा और नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में छात्रों के प्रदर्शन पर अमर्त्य सेन ने कहा, 'ज्यादातर यूनिवर्सिटीज़ के छात्र आज प्रदर्शन कर रहे हैं। 

कानून का राज खत्म करने की कोशिश 

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मैं 1951 से 1953 तक प्रेसीडेंसी कॉलेज का छात्र था। तब भी छात्रों पर सरकारी विरोधी होने का आरोप लगा था लेकिन आज जैसा नहीं था। आज विश्वविद्यालयों को सरकार के प्रतिद्वंदी के तौर पर देखा जाने लगा है।' JNU हिंसा को लेकर उन्होंने कहा, 'कुछ बाहरी लोगों ने छात्रों से मारपीट की और कानून का राज खत्म करने की कोशिश की। विश्वविद्यालय प्रशासन इसे रोक नहीं सका। पुलिस भी वहां सही समय पर नहीं पहुंची।'

उन्होंने आगे कहा, 'नागरिकता कानून के तहत चाहें नागरिकता दी जा रही हो या नहीं ये बाद में शख्स के धर्म के आधार पर तय होगा। ये संविधान की भावना के खिलाफ है। मुझे लगता है कि इस कानून को खत्म कर देना चाहिए क्योंकि इस तरह के कानून को पहली बार में पारित नहीं किया जाना चाहिए था।' अमर्त्य सेन ने आगे कहा कि उनके पास भी जन्म प्रमाण पत्र नहीं है। उन्होंने कहा, 'मेरे पास तो बर्थ सर्टिफिकेट भी नहीं है। मैं भीरभूम जिले बोलपुर स्थित शांतिनिकेतन में पैदा हुआ था।'

क्या है नागरिकता कानून 

नागरिकता संशोधन बिल पिछले साल दिसंबर में दोनों सदनों से पारित हो गया था। जिसे राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद कानून बन गया। इस कानून के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रह रहे हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी नागरिकों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। जिसका पूरे देश में विरोध किया जा रहा है। देश के कई हिस्सों में बीते दिनों हिंसात्मक प्रदर्शन भी हुए। जिसमें 23 लोगों की मौत हो गई थी।  

5 जनवरी को हुई थी हिंसा

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन ने जेएनयू हिंसा की निंदा की है। गौरतलब है कि 5 जनवरी की शाम कैंपस के भीतर हिंसा हुई थी। बताया जा रहा कि रजिस्ट्रेशन को लेकर छात्रों के बीच झड़प हुई थी। छात्रों का एक धड़ा फीस बढोत्तरी का विरोध कर रहा था तो दूसरा धड़ा रजिस्ट्रेशन करा रहा था। जिसके बाद दोनों गुटों के बीच सर्वर रूम के पास विवाद हुआ था और देर शाम नकाबपोश हमलावरों ने छात्रों पर हमला कर दिया था।  

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