पूर्वोत्तर दिल्ली हिंसा में तीन आरोपियों के खिलाफ आरोप तय, दंगे के बाद खौफ से कोई गवाह नहीं आ रहा था सामने

24.02.2020 से दिल्ली के उत्तर-पूर्वी जिले में हुए अभूतपूर्व दंगों के कारण आतंक और आघात के माहौल बने रहे। जनता इस हद तक आहत हुई कि कोई भी आगे आने और हिंसा की घटनाओं के संबंध में पुलिस को बयान देने को तैयार नहीं था।

Asianet News Hindi | Published : Feb 13, 2022 12:10 PM IST

नई दिल्ली। पूर्वोत्तर दिल्ली हिंसा 2020 (Northeast Delhi violence 2020) के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने तीन आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। इन तीनों पर हिंसा के दौरान गोकूपुरी इलाके (Gokupuri area) की एक मस्जिद को आग लगाने का आरोप है। मस्जिद (Janati Mosque) को आग के हवाले करने के अलावा अदालत ने उनके खिलाफ तोड़फोड़ और दंगा करने के आरोप भी तय किए हैं।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट (Additional Session Judge Virender Bhat) ने दीपक, प्रिंस और शिव के खिलाफ दंगों, गैरकानूनी सभा, चोरी, शरारत और भारतीय दंड संहिता (IPC) की आगजनी से संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय किए।

Latest Videos

गवाहों और वीडियो फुटेज के आधार पर तय किया आरोप

अदालत ने दो सार्वजनिक गवाहों शरीम और साजिद के बयान दर्ज किए। इसके अलावा आरोपी व्यक्तियों के दृश्य वाले वीडियो और वीडियो की सीएफएसएल रिपोर्ट के आधार पर आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए।

गवाहों के बयान देर से कराए गए

दो गवाहों के बयान दर्ज करने में देरी के मुद्दे पर कोर्ट ने कहा, "यह ध्यान में रखने की जरूरत है कि 24.02.2020 से दिल्ली के उत्तर-पूर्वी जिले में हुए अभूतपूर्व दंगों के कारण आतंक और आघात के माहौल बने रहे। जनता इस हद तक आहत हुई कि कोई भी आगे आने और हिंसा की घटनाओं के संबंध में पुलिस को बयान देने को तैयार नहीं था। यही कारण है कि उपरोक्त दो गवाहों के बयान दर्ज करने में देरी, इस मामले में, अभियोजन पक्ष के मामले में इस स्तर पर जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

अदालत ने कहा कि परीक्षण के दौरान जिरह के आधार पर गवाहों के बयान का परीक्षण किए बिना दहलीज पर गवाहों के बयान पर अविश्वास करना अत्यधिक अनुचित होगा। इस प्रकार न्यायालय ने प्रथम दृष्टया आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सामग्री पाई।

विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) ने प्रस्तुत किया कि सभी तीन आरोपियों की पहचान की गई है। दंगाइयों द्वारा 24 फरवरी 2020 को जनता मस्जिद में तोड़फोड़ की गई। दो सार्वजनिक गवाहों शरीम और साजिद ने गवाही दी है जिन्होंने पूरा घटनाक्रम देखा है। 

उन्होंने आगे कहा कि वीडियो फुटेज में आरोपी व्यक्ति स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। चार्जशीट में उल्लिखित सभी अपराधों के आरोप सभी व्यक्तियों के खिलाफ बनाए गए हैं।

दूसरी ओर, बचाव पक्ष के वकीलों ने तर्क दिया कि इस मामले में दो नाबालिगों के साथ आरोपियों को 9 मार्च 2020 को उनके खिलाफ बिना किसी सबूत के उस तारीख को गिरफ्तार किया गया था। घटना के वीडियो फुटेज वाली सीडी को 10 मार्च 2020 को जांच अधिकारी द्वारा स्वीकार किया गया था।

बचाव पक्ष ने कहा कि आरोपी के खिलाफ बिना किसी सबूत के प्रारंभिक आरोप पत्र दायर किया गया था। बाद में, उनके खिलाफ दो गवाहों को लगाया गया था जिनके बयान 5 मई 2020 को दर्ज किए गए थे। यह स्पष्ट रूप से झूठे आरोप का मामला है और इसलिए, सभी आरोपी आरोप मुक्त होने चाहिए।

यह है आरोप

अभियोजन पक्ष के अनुसार 24 फरवरी 2020 को थाना गोकुलपुरी में सूचना मिली थी कि गोकुलपुरी मुख्य मार्ग सभापुर स्थित मस्जिद को कुछ लोग तोड़ रहे हैं और करीब 15-20 लोग मस्जिद के अंदर फंस गए हैं। मौके पर दमकल की गाड़ी भी पहुंच गई थी जो मस्जिद में लगी आग को बुझा रही थी। मस्जिद में कोई फंसा नहीं पाया गया।

अभियोजन पक्ष ने कहा कि लकड़ी और लोहे की छड़ों के साथ करीब 400-500 लोग मौके पर जमा हो गए थे। वे इलाके में तोड़फोड़ के साथ-साथ आगजनी भी कर रहे थे। इस संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जांच अधिकारी ने मौके का रफ साइट प्लान भी तैयार किया था। घटनास्थल के पास कोई सीसीटीवी नहीं मिला और इसलिए कोई फुटेज एकत्र नहीं किया जा सका। बाद में एक सिपाही को मुखबिर से वीडियो मिला। वीडियो उस घटना का था जिसमें दो नाबालिगों समेत सभी आरोपी दंगा करते नजर आए।

 

Share this article
click me!

Latest Videos

रोया और अपने ही घर में 27 घंटे टॉर्चर झेलता रहा इंजीनियर,खौफनाक रात में गवांए 35 लाख
हॉस्टल में बलिः स्कूल को चमकाने के लिए 3 टीचरों ने छीना एक मां का लाल
IQ Test: 4 मजेदार सवाल, जानिए कितने स्मार्ट हैं आप #Shorts
थाने में चीखती रही कैप्टन की मंगेतर और पुलिस वाले ने फाड़ दिए कपड़े, की अश्लीलता!
'जीजा ये पकड़ 60 हजार... नहीं बचना चाहिए मेरा पति' पत्नी ने क्यों दी पति की सुपारी, खौफनाक है सच