धार्मिक स्थलों से उठते शोर को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। कर्नाटक कर्नाटक सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने मंदिरों की घंटियों से होते ध्वनि प्रदूषण(noise pollution) को नियंत्रण करने नोटिस जारी किया था। हालांकि लोगों की नाराजगी के चलते उसे वापस ले लिया गया। उधर, गुजरात हाईकोर्ट ने मस्जिदों के लाउडस्पीकर से होने वाले शोर को लेकर एक जनहित याचिका(PIL) पर सरकार को नोटिस भेजा है।
बेंगलुरु/अहमदाबाद. धार्मिक स्थलों से उठते शोर को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। कर्नाटक कर्नाटक सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने मंदिरों की घंटियों से होते ध्वनि प्रदूषण(noise pollution) को नियंत्रण करने नोटिस जारी किया था। हालांकि लोगों की नाराजगी के चलते उसे वापस ले लिया गया। गुजरात में भी ऐसे ही मामले को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस भेजा है।
सरकार ने कहा कोई सर्कुलर जारी नहीं किया था
कर्नाटक के मुजराई और बंदोबस्ती विभाग(Muzrai and Endowment Department) ने मंदिरों की घंटियों से होने वाले शोरगुल को लेकर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत ध्वनि प्रदूषण मानदंडों के उल्लंघन पर कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(Pollution Control Board) के निर्देशों नोटिस भेजे थे। विभाग ने पुलिस के जरिये मंदिरों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया था। लेकिन इससे लोगों में नाराजगी होने लगी, तो उसे वापस ले लिया गया। हालांकि कर्नाटक के गृहमंत्री मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र(Araga Gyanendra) ने ऐसे किसी भी सर्कुलर से इनकार किया है।
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गुजरात हाईकोर्ट में मस्जिदों के लाउडस्पीकर को लेकर याचिका
उधर, गुजरात हाईकोर्ट (Gujrat High court) ने मंगलवार को राज्य सरकार को एक जनहित याचिका (PIL) पर नोटिस जारी किया। इस याचिका में गुजरात सरकार को मस्जिदों में लाउडस्पीकरों (Lounspeaker ban in Mosques) पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश देने की मांग की गई है। चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री की डिवीजन बेंच ने गुजरात के गांधीनगर जिले के एक डॉक्टर धर्मेंद्र विष्णुभाई की याचिका पर यह नोटिस जारी किया है।
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200 डेसिबल से अधिक आवाज वाले लाउडस्पीकर बज रहे
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि राज्य में ध्वनि प्रदूषण नियमों के अनुसार माइक्रोफोन के उपयोग के लिए कितनी आवाज की अनुमति दी गई है। इस पर याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि 80 डेसिबल तक की आवाज की अनुमति है, लेकिन मस्जिदें 200 डेसिबल से अधिक आवाज वाले लाउडस्पीकर का उपयोग कर रही हैं।
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क्या है ध्वनि प्रदूषण(noise pollutio)
किसी चीज से पैदा होने वाली आवाज को ध्वनि (Sound) कहते हैं। जब यह ध्वनि सुनने की क्षमता से अधिक हो, तो उसे शोर (Noise) कहा जाता है। शोर से अशांति एवं बेचैनी होती है। ध्वनि की तीव्रता को मापने के लिये डेसीबल (dB) इकाई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) ने ध्वनि की उच्चता का स्तर दिन में 45dB तथा रात्रि में 35dB निश्चित किया है। मनुष्य 20 हर्ट्ज से 20,000 हर्ट्ज तक की ध्वनि सुन सकता है। इसे श्रव्य परास (Audible Range) कहा जाता है। इससे अधिक आवृत्ति की तरंगों को पराश्रव्य तरंग (Ultrasonic) कहते हैं। जबकि कम आवृत्ति की तरंगों को अवश्रव्य (Infrasonic) तरंगें कहते हैं।