जम्मू-कश्मीर: नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक दल की बैठक में CM बने उमर अब्दुल्ला

कश्मीर घाटी में जनता ने फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व पर भरोसा जताया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 57 में से 42 सीटों पर जीत हासिल कर लहर पैदा कर दी। उमर अब्दुल्ला ने भी अपनी दोनों सीटों पर जीत हासिल की।

rohan salodkar | Published : Oct 10, 2024 10:20 AM IST

जम्मू-कश्मीरः नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री चुन लिया गया है। उमर अब्दुल्ला दूसरी बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक दल की बैठक में यह फैसला लिया गया। फारूक अब्दुल्ला ने उमर अब्दुल्ला को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले की घोषणा की। 

जम्मू क्षेत्र की सीटों पर जीत के साथ ही नेशनल कॉन्फ्रेंस ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया। हिंदू बहुल क्षेत्रों में, जहाँ भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने थे, भाजपा को बढ़त बनाने में कामयाबी मिली। जमात-ए-इस्लामी और इंजीनियर रशीद की पार्टी चुनाव में बुरी तरह हार गई। राज्य से अलग हुए जम्मू-कश्मीर के चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले की आशंका के बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ने आसानी से जीत हासिल कर ली। नेशनल कॉन्फ्रेंस की इस शानदार जीत का श्रेय कांग्रेस को भी जाता है। 

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कश्मीर क्षेत्र की 47 सीटों में से अधिकांश पर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कब्जा कर लिया। कश्मीर घाटी में जनता ने फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व पर भरोसा जताया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 57 में से 42 सीटों पर जीत हासिल कर लहर पैदा कर दी। उमर अब्दुल्ला ने भी अपनी दोनों सीटों पर जीत हासिल की। 

इंडिया गठबंधन में कांग्रेस को 32 सीटें दी गई थीं, लेकिन वह केवल 6 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई। अलगाववादियों के गढ़ माने जाने वाले उत्तरी कश्मीर में भी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सबसे ज़्यादा सीटें जीतीं। दस साल पहले जम्मू-कश्मीर पर राज करने वाली पीडीपी केवल तीन सीटों पर सिमट गई। मुफ्ती परिवार की युवा नेता और महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती की हार भी एक बड़ा झटका है। किसी की मदद के बिना इंडिया गठबंधन के सरकार बनाने की बात सामने आने के बाद फारूक अब्दुल्ला ने उमर अब्दुल्ला को नेता घोषित कर दिया था।

भाजपा एक बार फिर जम्मू क्षेत्र तक ही सीमित रह गई। प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना की हार ने भी पार्टी को कमजोर किया। जम्मू क्षेत्र में बढ़त बनाने के बावजूद छोटी पार्टियों को साथ लेकर सरकार बनाने की रणनीति कश्मीर घाटी में विफल रही। बारामूला के सांसद इंजीनियर रशीद की अवामी इत्तेहाद पार्टी को अपने गढ़ में भी हार का सामना करना पड़ा। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन अपनी सीट ही बचा पाए। जमात-ए-इस्लामी के सभी दस उम्मीदवार हार गए। कुलगाम में जमात-ए-इस्लामी के उम्मीदवार को हराकर सीपीएम नेता मुहम्मद युसूफ तारिगामी ने लगातार पाँचवीं बार जीत हासिल की।

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