नेताजी से यहीं फहराया था पहली बार तिरंगा, अंडमान-निकोबार का बोस से है गहरा कनेक्शन, पढ़िए पराक्रम दिवस पर 10 फैक्ट्स

Published : Jan 23, 2023, 10:28 AM ISTUpdated : Jan 23, 2023, 10:35 AM IST
Parakram Diwas

सार

नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्मदिवस(23 जनवरी) पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। लेकिन अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में विशेष कार्यक्रम रखे गए हैं। यहां के 21 सबसे बड़े अनाम द्वीपों का नामकरण 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर किया गया है।

नई दिल्ली. नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्मदिवस(23 जनवरी) पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। लेकिन अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में विशेष कार्यक्रम रखे गए हैं। यहां के 21 सबसे बड़े अनाम द्वीपों का नामकरण 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर किया गया है। आखिर यह द्वीप नेताजी सुभाषचंद्र बोस को लेकर इतना चर्चित क्यों है, आइए जानते हैं पूरी कहानी...?

1. अंडमान निकोबार और नेताजी का गहरा रिश्ता था। 29 दिसंबर 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस पहली बार अंडमान एंड निकोबार द्वीप के पोर्ट ब्लेयर पहुंचे थे। वे तीन दिन यहां रुके थे। 30 दिसंबर 1943 को जिमखाना ग्राउंड पर नेताजी ने तिरंगा फहराया था।

2. जब सेकंड वर्ल्ड वार हुआ, तब जापान ने अंडमान एंड निकोबार द्वीप पर कब्जा जमा लिया था। उनका यह कब्जा 1942 से1945 तक रहा। बाद में 29 दिसंबर को जापान ने सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद सेना को इसे सौंप दिया था। हालांकि जापान का इस पर वास्तविक नियंत्रण बना रहा था।

3. हालांकि जापान से पहले इस द्वीप पर हालैंड ने कब्जा किया हुआ था। बाद में यह अंग्रेजों के हाथ चला गया। जब दूसरे विश्व युद्ध में जापान की पराजय हुई, तो ये द्वीप फिर से ब्रिटेन के पास आ गया था।

4. जब जापानी इसे नेताजी को सौंपकर गए, तब 30 दिसंबर 1943 को यहां तिरंगा फहराया गया था। नेताजी ने अंडमान का नाम शहीद और निकोबार का नाम स्वराज रखा था। आजाद हिंद सरकार ने जनरल लोकनाथन को यहां का अपना गवर्नर बनाया था। 1947 में आजादी के बाद यह केंद्र शासित प्रदेश रहा।

5. अंग्रेजों ने यहां सेल्युलर जेल बनाई थी, जहां क्रांतिकारियों को बंद करके रखा जाता था। यहां उन्हें इतनी यातनाएं दी जाती थीं कि इस जेल का नाम काला पानी पड़ गया था। यह जेल पोर्ट ब्लेयर में है। जेल में 694 काल कोठरी बनाई गई थीं।

6.वीर सावरकर और बटुकेश्वर दत्त जैसे कुछ प्रख्यात भारतीय स्वतंत्रता संग्रामियों को यहां कैद किया गया था। वर्तमान में, इस जेल परिसर को राष्ट्रीय स्मारक बनाया गया है। यह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के सबसे अधिक देखे जाने वाले आकर्षणों में से एक है। अंडमान निकोबार में एक द्वीप का नाम सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखा गया था। यह द्वीप 200 एकड़ में फैला है।

7.अंडमान तथा निकोबार द्वीसमूह की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि अपने आप में खासा महत्व रखती है। सरकारी दस्तावेजों के अनुसार ‘अंडमान’ शब्द की उत्पत्ति मलय से हुई है, जो द्वीपसमूह को प्राचीन काल से जानते थे। इसी जगह से उन्हें अपने लिए गुलाम मिले थे।

8. कहते हैं कि मलय लोग समुद्र यात्रा बहुत किया करते थे। इस दौरान वे कुछ आदिम जनजाति के लोगों को पकड़ कर अपने साथ ले जाते थे और उनसे गुलामी कराते थे। ये लोग इस द्वीपसमूह को ‘हंदुमान’ कहा करते थे, जैसा वे रामायण में हनुमान का नाम उच्चारित करते थे। यही नाम आगे चलकर ‘अंडमान’ कहलाने लगा।

9.स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक सुभाषचंद्र बोस का जन्म ओडिशा के कटक जिले में 23 जनवरी 1897 को हुआ था। उनके पिता जानकीनाथ प्रसिद्ध वकील थे। उनकी माता का नाम प्रभावती देवी था। सुभाष चंद्र बोस की शुरुआती शिक्षा कलकत्ता के 'प्रेसिडेंसी कॉलेज' और 'स्कॉटिश चर्च कॉलेज' से हुई थी।

10.1919 में हुई जलियांवाला बाग हत्याकांड ने पूरे देश के लोगों को विचलित कर दिया था। देश के युवा महात्मा गांधी का समर्थन करने के लिए सड़कों पर उतरे थे। इसी दरम्यान सुभाष चंद्र बोस भी आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। उनके पिता ने अंग्रेजों के दमनचक्र के विरोध में 'रायबहादुर' की उपाधि लौटा दी थी। 1920 में उन्होंने 'भारतीय प्रशासनिक सेवा' की परीक्षा उत्तीर्ण की। आईसीएस की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद सुभाष ने आईसीएस से इस्तीफा दिया।

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