One Nation One Election: केंद्र सरकार वन नेशन-वन इलेक्शन बिल को पास कराने की तैयारियां तेज कर दी है। हालांकि, इसको लेकर विवाद न हो इसलिए सरकार इस शीतकालीन सत्र में इसे पेश कर उसे जेपीसी के पास भेज सकती है। मोदी कैबिनेट ने एक देश-एक चुनाव पर पूर्व प्रेसिडेंट रामनाथ कोविंद कमेटी की रिपोर्ट को पहले ही मंजूरी दे दी थी। सरकार, इस विधेयक पर आम सहमति बनाने के लिए इसे लोकसभा में पेश करेगी और जेपीसी के पास भेजेगी। संसद में एक राष्ट्र एक चुनाव योजना को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करने के लिए कम से कम छह विधेयक लाने होंगे और सरकार को संसद में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। सरकार के पास दोनों सदनों में बहुमत भी है।
दरअसल, वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में केंद्र सरकार ने एक पैनल घोषित किया था। पैनल द्वारा रिपोर्ट सौंपने के बाद केंद्रीय कैबिनेट ने इसको मंजूरी दे दी। कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब इसे कानून बनाया जाना है। इसके लिए सरकार अब संसद में विधेयक पेश करने वाली है। जिसे चर्चा के पहले जेपीसी में भेजा जाएगा। मोदी सरकार ने ऐलान किया है कि 2029 में पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने हैं।
वन नेशन-वन इलेक्शन कानून को शीतकालीन सत्र में पेश करेगी। सूत्रों का मानना है कि सरकार अब विधेयक पर आम सहमति बनाना चाहती है इसलिए अब विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति या जेपीसी को भेज सकती है। जेपीसी में सभी राजनैतिक दलों का प्रतिनिधित्व होगा। जेपीसी सभी स्टेकहोल्डर्स से बात कर उनकी चर्चा करेगी।
वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए केंद्र सरकार को संसद में कम से कम छह विधेयक को पास कराने होंगे। सरकार को संसद में दो-तहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। एनडीए के पास संसद के दोनों सदनों में सामान्य बहुमत है लेकिन इसे पास कराना कठिन हो सकता है। लोकसभा में भी एनडीए के पास 545 में से 292 सीटें हैं। दो तिहाई बहुमत का आंकड़ा 364 है। राज्यसभा की 245 सीटों में से एनडीए के पास 112 और विपक्षी दलों के पास 85 सीटें हैं। दो तिहाई बहुमत के लिए सरकार को कम से कम 164 वोटों की आवश्यकता है।
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