नई दिल्ली : भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के निर्बाध क्रियान्वयन के लिए 9 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई 'प्रगति' ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म ने देश के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर ज़बरदस्त प्रभाव डाला है। इसके ज़रिए 205 बिलियन डॉलर (17.05 लाख करोड़ रुपये) की 340 प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं पूरी हुई हैं। ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और गेट्स फ़ाउंडेशन द्वारा किए गए एक अध्ययन में इसकी सराहना की गई है।
9 साल पहले शुरू होने के बाद से, 'प्रगति' प्लेटफ़ॉर्म ने भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर गहरा प्रभाव डाला है। सोमवार को जारी हुए अध्ययन में कहा गया है कि जून 2023 तक, 17.05 लाख करोड़ रुपये की 340 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं।
ख़ास बात यह है कि इन 340 परियोजनाओं में से 8 परियोजनाओं (रेल, सड़क, बिजली, विमानन) को रिपोर्ट में प्रमुखता से पहचाना गया है। इनमें बेंगलुरु मेट्रो प्रोजेक्ट भी शामिल है। बाकी परियोजनाओं में जम्मू-उधमपुर-श्रीनगर बारामूला रेल लिंक, नवी मुंबई एयरपोर्ट, असम ब्रिज, वाराणसी-औरंगाबाद ब्रिज आदि शामिल हैं।
मोदी की रिपोर्ट में तारीफ़:
रिपोर्ट में 'प्रगति' के प्रभावों का विश्लेषण किया गया है। इसमें कहा गया है, '12 साल से ज़्यादा समय तक मुख्यमंत्री के रूप में काम करने के बाद, मोदी को इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के क्रियान्वयन की अच्छी समझ थी।'
कई 'प्रगति परियोजनाओं' की सफलता का सीधा अंदाज़ा एक छोटे से वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग रूम से लगाया जा सकता है। प्रधानमंत्री के साउथ ब्लॉक ऑफ़िस में, हर महीने के आख़िरी बुधवार को मोदी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करते हैं। कैबिनेट सचिव, सभी राज्यों के मुख्य सचिव और केंद्रीय मंत्रालयों के सचिव वीडियो कॉन्फ़्रेंस में शामिल होते हैं। आमतौर पर 90 मिनट तक चलने वाले इस वीडियो कॉन्फ़्रेंस में मोदी सभी कामों की समीक्षा करते हैं।
बेंगलुरु मेट्रो की ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने की तारीफ़:
'प्रगति' के ज़रिए पूरी हुई परियोजनाओं में बेंगलुरु मेट्रो एक बड़ी उपलब्धि है, ऐसा ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने कहा है।
'बेंगलुरु मेट्रो का पहला चरण 2017 में शुरू हुआ था, दूसरा चरण 2026 में पूरा होने की उम्मीद है। तीसरा चरण 2028 तक चालू हो सकता है और इसमें दो नए एलिवेटेड रूट शामिल होंगे। प्रोजेक्ट के रेल कॉरिडोर शहर के बीचों-बीच से गुज़रते हैं। इन्हें काफ़ी ज़मीन की ज़रूरत होती है। इसलिए ज़मीन अधिग्रहण एक मुश्किल काम था। 2017 में शुरू होने के बाद से, पहले चरण के 42 किमी के दायरे में 40 स्टेशन शहर की परिवहन व्यवस्था के लिए वरदान साबित हुए हैं। इससे ट्रैफ़िक जाम में काफ़ी कमी आई है और हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। यह एक भरोसेमंद परिवहन साधन है।'
क्या है प्रगति?
प्रगति (https://pragati.nic.in/en/) एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है जिसे 2015 में बनाया गया था। इसमें केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के क्रियान्वयन में आने वाली बाधाओं को आपसी बातचीत के ज़रिए दूर करती हैं। इससे प्रोजेक्ट्स का काम तेज़ी से होता है।
प्रगति की पहचान से ख़ुशी
'प्रगति' तकनीक और प्रशासन के बेहतरीन मेल को दर्शाता है। यह प्रोजेक्ट क्रियान्वयन में आने वाली रुकावटों को दूर करता है और समय पर पूरा होने को सुनिश्चित करता है। इससे लोगों को काफ़ी फ़ायदा हुआ है। मुझे ख़ुशी है कि ऑक्सफ़ोर्ड और गेट्स फ़ाउंडेशन ने 'प्रगति' के प्रभाव को पहचाना है।
मोदी की तारीफ़ क्यों?
• 9 साल पहले मोदी सरकार ने 'प्रगति' ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म शुरू किया
• इसके ज़रिए अब तक देश में 340 इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पूरे हुए
• परियोजना के तहत हुए काम की कुल लागत 17 लाख करोड़ रुपये
• बेंगलुरु मेट्रो, जम्मू-बारामूला रेल, नवी मुंबई एयरपोर्ट प्रमुख प्रोजेक्ट हैं - प्रोजेक्ट की घोषणा के बाद हर चरण पर ख़ुद प्रधानमंत्री मोदी नज़र रखते हैं
• ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और गेट्स फ़ाउंडेशन के अध्ययन में इसकी सराहना की गई