
Pahalgam Terror Attack 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार दोपहर हुए आतंकवादी हमले के बाद सियासी बयानबाज़ी तेज हो गई है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस कायराना हमले की तीखी निंदा करते हुए केंद्र सरकार से जवाबदेही की मांग की। पर्यटन स्थली पहलगाम में आतंकियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर लाशें बिछा दी हैं। मंगलवार को आतंकी हमले में कम से कम 26 लोगों की मौत हो गई जबकि कई दर्जन घायल हैं।
राहुल गांधी ने कहा: केंद्र सरकार को यह दिखाने से बाज आना चाहिए कि सब कुछ सामान्य है। अब समय है कि वह ठोस कदम उठाए ताकि ऐसे बर्बर हमले दोबारा न हों और मासूम भारतीयों की जान न जाए।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस हमले को मानवता पर धब्बा बताया।
प्रियंका गांधी ने लिखा कि नागरिकों को निशाना बनाना मानवता के विरुद्ध अपराध है और यह बिल्कुल अस्वीकार्य है। पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हमले अत्यंत निंदनीय बताया और कहा कि इस हिंसक कृत्य को दंडित किया जाना चाहिए।
सपा प्रमुख व पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा कि केन्द्र सरकार को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि स्थानीय लोगों और पर्यटकों की जान सलामत रहे।
पहलगाम को ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ कहा जाता है लेकिन मंगलवार दोपहर 3 बजे, जब सूरज की गर्मी हरियाली पर पड़ रही थी, उसी वक़्त गोलियों की बौछार से सब बदल गया।
वीडियो में एक महिला अपने घायल पति के पास खड़ी चीखती दिखी। वह लगातार गुहार लगा रही थी कि मेरे पति को बचा लो, भगवान के लिए उन्हें बचा लो। खून से सनी महिलाओं के चेहरे, डरे हुए बच्चे और तड़पते हुए लोग इस हमले की क्रूरता बयान कर रहे हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी मंगलवार को सऊदी अरब दौरे पर पहुंचे हैं। उन्होंने हमले की तीखी निंदा करते हुए गृह मंत्री अमित शाह से जानकारी ली। टेलीफोनिक वार्ता में उन्होंने अमित शाह से घटनास्थल का दौरा करने को कहा। मोदी ने कहा कि इस घिनौने हमले को अंजाम देने वाले बख्शे नहीं जाएंगे। उनकी बुरी मंशा कभी सफल नहीं होगी।
गृहमंत्री शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इसे देश की सुरक्षा पर हमला बताते हुए कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और मौजूदा मुख्यमंत्री ने हमले को अमानवीय और घृणित बताया। उन्होंने कहा कि इन आतंकियों की कोई इंसानियत नहीं बची। इस हमले की निंदा के लिए शब्द कम पड़ते हैं।
पिछले साल घाटी में नागरिकों को निशाना बनाए जाने की कई घटनाएं हुई थीं। अक्टूबर में गांदरबल में छह मज़दूरों और एक डॉक्टर की हत्या की गई थी। अब एक बार फिर वही सिलसिला लौटता दिख रहा है।