Ghazi submarine:1971 के Indo-Pak वॉर में डूबे पाकिस्तानी पनडुब्बी का मिला मलबा, भारतीय नौसेना ने विशाखापत्तनम तट में ढूंढा

पाकिस्तानी पनडुब्बी का मलबा भारतीय नौसेना को विशाखापट्टनम तट से लगभग 2 से 2.5 किमी दूर में लगभग 100 मीटर की गहराई पर मिला।

sourav kumar | Published : Feb 23, 2024 4:32 AM IST / Updated: Feb 23 2024, 10:11 AM IST

पाकिस्तानी पनडुब्बी। भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1971 में युद्ध हुआ था। इस युद्ध के दौरान भारत ने पाकिस्तान के PNS गाजी पनडुब्बी को धराशायी कर दिया था, जिसके बाद पनडुब्बी विशाखापट्टनम के समुद्र तट पर डूब गई थी। हालांकि, युद्ध के लगभग 52 साल बाद भारतीय नौसेना के नए अधिग्रहीत गहरे जलमग्न बचाव वाहन (DSRV) ने  PNS गाजी पनडुब्बी के मलबे को ढूंढ निकाला है। पनडुब्बी का मलबा भारतीय नौसेना को विशाखापट्टनम तट से लगभग 2 से 2.5 किमी दूर में लगभग 100 मीटर की गहराई पर मिला।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार टेंच श्रेणी की PNS गाजी पनडुब्बी पहले अमेरिकी नौसेना का हिस्सा थी, जहां इसे USS डियाब्लो के नाम से जाना जाता था। वहीं रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय नौसेना ने अपनी जान गंवाने वाले लोगों के सम्मान में पनडुब्बी को छूने से मना कर दिया। इस तरह से नौसेना ने युद्ध में शहीद हुए जांबाजों को श्रद्धांजलि देने का काम किया।

विशाखापट्टनम तट पर 2 पनडुब्बी मौजूद

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में PNS गाजी का डूबना सबसे बड़ी बात थी। विशाखापट्टनम तट पर डूबी पनडुब्बी में 93 लोग (11 अधिकारी और 82 नाविक) सवार थे। इस पनडुब्बी का लक्ष्य था भारत के पूर्वी तट पर स्थिति भारतीय नौसैनिकों का पता लगाना और INS विक्रांत पर हमला कर उसे डूबो देना।  PNS गाजी 14 नवंबर, 1971 को पाकिस्तान के कराची से रवाना हुई और भारतीय प्रायद्वीप के चारों ओर 4,800 किमी का सफर खुफिया तरीके से पूरा कर विजाग के तट पर पहुंची थी। इसके बाद भारत ने अपना विध्वंसक INS राजपूत भेजा जिसने गहराई से हमला करके पाकिस्तानी पनडुब्बी को डुबो दिया। हालांकि, पाकिस्तानी सेना का दावा है कि  PNS गाजी  आकस्मिक विस्फोटों के कारण डूब गया।

 PNS गाजी एकमात्र पनडुब्बी नहीं है, जो विशाखापत्तनम के तट के पास बंगाल की खाड़ी के तल पर मौजूद है।द्वितीय विश्व युद्ध में 12 फरवरी 1944 को इंपीरियल जापानी नौसेना की (RO-110) पनडुब्बी भी विजाग जिले के रामबिली इलाके के तट पर डूब गई थी। नौसैनिकों ने दावा किया कि दोनों पनडुब्बियां विजाग तट के पास समुद्र के तल पर मौजूद थीं। उन्होंने कहा, "हालांकि, नौसेना ने जापानी पनडुब्बी को नहीं छुआ है क्योंकि नौसेना कर्मियों का दृढ़ विश्वास है कि यह बहादुर आत्माओं का अंतिम विश्राम स्थल है, और हम उन्हें शांति से रहने देते हैं।"

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