Parliament Budget Session : प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना में पति के आधार और सहमति की जरूरत नहीं : स्मृति

नीति आयोग ने मूल्यांकन के बाद पति के आधार को हटाने की सिफारिश की महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की मां या अन्य गर्भवती महिलाओं के लिए चलाई जा रही अन्य योजनाओं में आधार की ऐसी अनिवार्यता नहीं है। लेकिन प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना में ऐसा अनिवार्य था। इस संबंध में आ रही परेशानियों को देखते हुए नियमों में संशोधन की मांग की जा रही थी। 

नई दिल्ली। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना (PMMVY) के नियमों में संशोधन किया गया है। इसके तहत अब सिंगल मदर और पति द्वारा छोड़ी गई महिलाओं को योजना का लाभ लेने के लिए पति के आधार की डिटेल और उसकी सहमति लेने की जरूरत नहीं है। 

योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को दिए जाते हैं 5 हजार रुपए
यह जानकारी केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में दी। गौरतलब है कि PMMVY के तहत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले बच्चे के लिए तीन किस्तों में मातृत्व लाभ दिया जाता है। इस योजना के जरिये महिलाओं को 5 हजार रुपए दिए जाते हैं। अब तक इस योजना का लाभ पाने के लिए महिलाओं को पति के आधार की डिटेल दर्ज करानी होती थी। 

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नीति आयोग ने मूल्यांकन के बाद पति के आधार को हटाने की सिफारिश की
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की मां या अन्य गर्भवती महिलाओं के लिए चलाई जा रही अन्य योजनाओं में आधार की ऐसी अनिवार्यता नहीं है। लेकिन प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना में ऐसा अनिवार्य था। इस संबंध में आ रही परेशानियों को देखते हुए नियमों में संशोधन की मांग की जा रही थी। योजना के तहत पंजीकरण और मातृत्व लाभ प्राप्त करने के लिए महिलाओं को अपनी और अपने पति की लिखित सहमति प्रस्तुत करना आवश्यक था। 
नीति आयोग के विकास और निगरानी मूल्यांकन कार्यालय ने PMMVY सहित महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की केंद्र प्रायोजित योजनाओं का मूल्यांकन किया। इस दौरान सामने आया कि सिंगल मदर और पति द्वारा छोड़ी गई महिलाओं को लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में  सिंगल मदर और पति द्वारा छोड़ी गई महिला को भी PMMVY में शामिल करने के लिए योजना के दिशा-निर्देशों में पति की लिखित सहमति और आधार की अनिवार्यता का मानदंड हटाने की सिफारिश की गई।  
 
हर पुरुष को बलात्कारी कहना ठीक नहीं 
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा देश में सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन सभी विवाह को हिंसक बता देना और हर पुरुष को बलात्कारी कहना सही नहीं है। केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बुधवार को राज्यसभा में ये बात कही। दरअसल, सीपीआई नेता बिनॉय विस्वम ने मैरिटल रेप पर एक सवाल पूछा था। उन्होंने पूछा था कि क्या सरकार ने घरेलू हिंसा कानून के सेक्शन 3 और रेप पर आईपीसी की धारा 375 को संज्ञान में लिया है। इसी पर ईरानी ने कहा मेरा कहना है कि इस सम्मानित सदन में देश की हर शादी को हिंसक शादी मानकर उसकी निंदा करना और इस देश के हर आदमी को बलात्कारी मानकर निंदा करना उचित नहीं है। वरिष्ठ सदस्य को राज्यसभा के नियम 47 की जानकारी है, जो मौजूदा विचाराधीन विषय के विस्तार में जाने की अनुमति नहीं देता। उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश राज्य सरकारों के साथ तालमेल से इस देश में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना है। इस समय पूरे देश में 30 से ज्यादा हेल्पलाइन कार्यरत हैं, जिसने 66 लाख से ज्यादा महिलाओं को सहायता पहुंचाई है। इसके अलावा देश में 703 'वन स्टॉप सेंटर' भी चल रहे हैं, जहां से 5 लाख से अधिक महिलाओं को सहायता मिली है। 

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