
Tamil Nadu Vs BJP Govt: संसद के बजट सत्र (Budget Session) के दूसरे चरण में मंगलवार को राज्यसभा (Rajya Sabha) में उस समय जबरदस्त हंगामा हुआ जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने केंद्र सरकार को घेरते हुए एक विवादित शब्द का इस्तेमाल किया। इस पर बीजेपी (BJP) सांसदों ने कड़ी आपत्ति जताई, आरोप लगाया कि यह टिप्पणी सभापति के लिए की गई थी।
हालांकि, खड़गे ने तुरंत माफी मांगते हुए बयान को वापस ले लिया और स्पष्ट किया कि उनका इरादा सरकार को निशाने पर लेना था, न कि चेयर को। लेकिन इस विवाद ने संसद में पहले से जारी तमिलनाडु (Tamil Nadu) और केंद्र सरकार के बीच टकराव को और बढ़ा दिया, जहां हिंदी थोपने (Hindi Imposition) और परिसीमन (Delimitation) के मुद्दे पर तीखी बहस चल रही है।
तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) पहले से ही परिसीमन और नई शिक्षा नीति (New Education Policy) के तहत हिंदी को थोपने के आरोपों पर केंद्र के खिलाफ मुखर है। सोमवार को भी राज्यसभा में इसी को लेकर बीजेपी और डीएमके (DMK) के सांसदों में तीखी बहस देखने को मिली थी।
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने तमिलनाडु पर तीखी टिप्पणी करते हुए राज्य को बेईमान कहा। इस बयान से भड़के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (MK Stalin) ने प्रधान को अहंकारी बताते हुए उन पर राजा समझने की मानसिकता रखने का आरोप लगाया। DMK सांसद कनिमोझी (Kanimozhi) ने प्रधान के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव (Privilege Motion) दायर किया, जिससे इस विवाद ने और तूल पकड़ लिया।
मंगलवार को इसी मुद्दे को लेकर खड़गे ने बीजेपी और धर्मेंद्र प्रधान पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा: इन्होंने देश के एक वर्ग की आत्मसम्मान को चोट पहुंचाई है। ये लोग देश को बांटने और तोड़ने की बात कर रहे हैं। खड़गे ने प्रधान के बयान को अस्वीकार्य बताते हुए मांग की कि उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने हाल ही में कहा था कि परिसीमन के बाद तमिलनाडु की संसदीय सीटों में कोई कमी नहीं होगी। वहीं, धर्मेंद्र प्रधान ने भी साफ किया कि नई शिक्षा नीति (NEP) में हिंदी को अनिवार्य नहीं किया गया है बल्कि छात्रों को एक अतिरिक्त भाषा सीखने का अवसर दिया गया है।
लेकिन तमिलनाडु सरकार ने इन दलीलों को खारिज कर दिया। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने अमित शाह के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा, "उन्होंने यह नहीं कहा कि उत्तर भारत की सीटें नहीं बढ़ेंगी। यह स्पष्ट रूप से दक्षिण भारत के खिलाफ भेदभाव है।" इसके अलावा, स्टालिन ने प्रधान पर दबाव बनाने और राज्यों को ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया, “अगर हम नई शिक्षा नीति पूरी तरह लागू नहीं करते, तो हमें फंड नहीं मिलेगा, यह धमकी देना बंद करें।”