संसद का मानसून सत्र चार दिन पहले ही खत्म: सरकार बोली-सांसद मोहर्रम व रक्षाबंधन में जाना चाहते थे घर

मूल्य वृद्धि पर चर्चा की विपक्ष की मांगों पर हंगामे के कारण पहले दो सप्ताह में कोई कामकाज नहीं हो सका। सदन को स्थगित करने से पहले, अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि लोकसभा ने 16 दिनों तक बैठक की और सात विधान पारित किए। राज्यसभा में निवर्तमान अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने कहा कि लगभग 38 घंटे तक कामकाज हुआ। व्यवधानों के कारण 47 घंटे से अधिक समय बर्बाद हो गया।

नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र (Parliament Monsoon session adjourned sine die) अपनी तय समयसीमा के पहले ही स्थगित कर दिया गया। एक बार फिर संसद सत्र पूरा नहीं हो सका। सोमवार को मानसून सत्र 2022, अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। सत्र के पूरा होने में अभी दिन का समय था। लेकिन दोनों सदनों को सोमवार दोपहर अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। यह सातवीं बार है जब संसद को नियत तारीख से पहले स्थगित कर दिया गया गया हो। हालांकि, सूत्रों ने संकेत दिया कि इस बार, अधिकांश लेजिसलेटिव एजेंडा पूरा हो गया है। दरअसल, बाकी के पांच दिनों में दो दिन छुट्टी होने की वजह से कई सांसद, सरकार पर सत्र स्थगित करने का दबाव बना रहे थे।

सांसद मनाना चाहते हैं रक्षा बंधन व मुहर्रम

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इस बार मुहर्रम 9 अगस्त को है और रक्षा बंधन 11 अगस्त को है। इन दोनों दिनों को संसद का सत्र नहीं होना था। तर्क दिया जा रहा है कि त्योहारों से पहले, सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों में लौटना चाहते थे। सूत्रों ने कहा कि अधिकांश विधायी एजेंडा पूरा होने की वजह से सरकार ने सत्र को कम करने का फैसला किया। सरकार के अनुसार, सत्र को कम करने के लिए सदस्यों की मांग को पूरा करने पर सहमति हुई।

16 दिनों में केवल सात विधान पारित

हालांकि, मूल्य वृद्धि पर चर्चा की विपक्ष की मांगों पर हंगामे के कारण पहले दो सप्ताह में कोई कामकाज नहीं हो सका। सदन को स्थगित करने से पहले, अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि लोकसभा ने 16 दिनों तक बैठक की और सात विधान पारित किए। राज्यसभा में निवर्तमान अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने कहा कि लगभग 38 घंटे तक कामकाज हुआ। व्यवधानों के कारण 47 घंटे से अधिक समय बर्बाद हो गया।

विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना

तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने हालांकि इस फैसले को लेकर सरकार पर निशाना साधा। ओ ब्रायन ने ट्वीट किया कि यह लगातार सातवीं बार है जब संसद का सत्र छोटा किया गया है। पिछले कुछ सत्रों में, विपक्ष ने बार-बार शिकायत की है कि सरकार ने समय की कमी का हवाला देते हुए उन मुद्दों पर चर्चा करने से इनकार कर दिया है। 
 

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