महिला आरक्षण विधेयक (Women Reservation Bill) पर लोकसभा में बहस हो रही है। इसके लिए सात घंटे समय रखा गया है। आज बिल पाए किए जाने की उम्मीद है।
नई दिल्ली। पांच दिन तक चलने वाले संसद के विशेष सत्र (Parliament Special Session) का आज तीसरा दिन है। आज लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर बहस हो रही है। आज इसे लोकसभा से पास किया जा सकता है। इस विधेयक के अनुसार महिलाओं को लोकसभा और विधानसभा में 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा। 11 बजे से लोकसभा में बहस शुरू हुई।
महिला आरक्षण बिल पर क्या बोलीं स्मृति ईरानी
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने महिला आरक्षण बिल पर कहा कि मेरे संगठन ने मुझे अनगिनत मौके दिए। ईरानी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के भाषण की तारीफ की और कहा उन्होंने जो सदन में बोला उसका आभार वंदन करती हूं। उन्होंने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 73 और 74 को नरसिम्हा राव सरकार ने संसोधित किया। संविधान को छिन्न-भिन्न करना कांग्रेस की पुरानी आदत है।
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नरेंद्र मोदी ने 19 सितंबर को बताया ऐतिहासिक दिन
मंगलवार को महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पेश किया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 सितंबर को "ऐतिहासिक दिन" बताया। उन्होंने विपक्षी दलों से विधेयक पारित करने का आग्रह किया था।
बहस के लिए लोकसभा के पास हैं 7 घंटे
महिला आरक्षण विधेयक पर बहस के लिए लोकसभा के पास 17 घंटे हैं। बिल को नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम दिया गया है। इसे लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा पेश किया गया। इसका लाभ लोकसभा चुनाव 2024 में नहीं मिलेगा। परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसे लागू किया जाएगा।
सोनिया गांधी ने रखी अपनी बात
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर अपनी बात रखी। उन्होंने बिल का समर्थन किया। इससे पहले महिला आरक्षण को लेकर पहली बार 2008 में यूपीए सरकार द्वारा बिल राज्यसभा में पेश किया गया था। इस बिल को 2010 में पारित किया गया था, लेकिन लोकसभा में इस पर कभी विचार नहीं किया गया।
लोकसभा में पुराना बिल पेश नहीं किया गया है। यह नया बिल है। महिला आरक्षण विधेयक आम सहमति और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण पिछले 27 वर्षों से लटका हुआ है।
अधीर रंजन चौधरी का आरोप संविधान की प्रस्तावना से 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्द हटाए गए
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि नए संसद भवन के उद्घाटन के दिन सांसदों को संविधान की जो नई प्रतियां दी गईं, उनकी प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द नहीं थे। उन्होंने कहा कि अगर ये दोनों शब्द संविधान में मौजूद नहीं हैं तो यह चिंताजनक बात है। सरकार संविधान बदल रही है।