बहन और दादी को जेल में देखकर फूट फूटकर रोने लगा निर्भया का दोषी, मौत से बचने के लिए मिले 7 दिन

दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्भया के चारों दोषियों को सात दिन का वक्त दिया है। 7 दिन में जितने भी कानूनी विकल्प हैं, दोषी उनका इस्तेमाल कर लें, फिर कोर्ट डेथ वॉरंट पर फैसला देगी। इस बीच तिहाड़ जेल में बंद निर्भया के दोषियों की हालत खराब है। 

नई दिल्ली. दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्भया के चारों दोषियों को सात दिन का वक्त दिया है। 7 दिन में जितने भी कानूनी विकल्प हैं, दोषी उनका इस्तेमाल कर लें, फिर कोर्ट डेथ वॉरंट पर फैसला देगी। इस बीच तिहाड़ जेल में बंद निर्भया के दोषियों की हालत खराब है। हर पल उन्हें मौत का डर सता रहा है। दोषी पवन गुप्ता यूपी के बस्ती का रहने वाला है। जब कोर्ट ने दषियों का डेथ वॉरंट जारी किया था, दब अपनी दादी, बहन और पिता को देखकर पवन फूट-फूटकर रोने लगा था।

आधे घंटे की हुई थी मुलाकात
पवन ने अपनी दादी और परिवार के बाकी लोगों से आधे घंटे की मुलाकात की थी। जेल नंबर तीन में जाने के बाद चारों दोषियों में से किसी दोषी की यह पहली मुलाकात थी।

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बचपन के दोस्त ने बताया, पवन को क्रिकेट खेलने का शौक
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पवन के बचपन के दोस्त कहते हैं कि उसे क्रिकेट खेलने का शौक था। उसने नमकीन बनाने की फैक्ट्री खोली थी, लेकिन वह चल नहीं पाई। फिर वह दिल्ली चला गया और वहां जूस बेचने का काम करने लगा। 

किस दोषी के पास कितने विकल्प?  
दोषी मुकेश और विनय की सुप्रीम कोर्ट से अर्जी खारिज होने के बाद रिव्यू, क्यूरेटिव और फिर दया याचिका खारिज हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट में रिट डालने का अधिकार हमेशा रहता है। अक्षय की रिव्यू और क्यूरेटिव खारिज हो चुकी है, लेकिन दया याचिका का विकल्प बचा हुआ है। पवन की क्यूरेटिव पिटिशन और दया याचिका दोनों ही बची है।  

क्या है निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।

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