NCP प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने दिवंगत कांग्रेस नेता विलासराव देशमुख को महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने का क्रेडिट दिया।
मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party ) के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने दिवंगत कांग्रेस नेता विलासराव देशमुख (Vilasrao Deshmukh ) को महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने का श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें पृथ्वीराज चव्हाण (Prithviraj Chavan) की क्षमता पर संदेह था। बता दें कि कांग्रेस -एनसीपी गठबंधन ने 15 साल तक राज्य में शासन करने के बाद 2014 में बीजेपी के हाथों सत्ता गंवा दी थी।
मंगलवार को लॉन्च की गई अपनी मराठी आत्मकथा 'लोक माझे संगति' (People Accompany Me) के अपडेटेड वर्जन में पवार ने लिखा कि देशमुख ने कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार का नेतृत्व ऐसे माहौल में किया जो आसान और आपसी समझ के साथ था।
पवार ने कहा कि देशमुख के सक्सेसर सुशील कुमार शिंदे (Sushilkumar Shinde) और अशोक चव्हाण (Ashok Chavan) ने उनकी परंपरा को आगे बढ़ाया, लेकिन पृथ्वीराज चव्हाण का मुख्य टारगेट एनसीपी था, जिसके चलते दोनों दलों के बीच तनावपूर्ण संबंध रहे। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो गई है और इससे चुनाव लड़ने की भावना कमजोर हो रही है।
पृथ्वीराज चव्हाण के परिवारसे नहीं थे पवार के अच्छे संबंध
पवार ने कहा कि भले ही एक साफ छवि पृथ्वीराज चव्हाण की सकारात्मक विशेषता थी, लेकिन उन्हें संदेह था कि क्या कांग्रेस नेता सभी को साथ लेकर चलने में सक्षम होंगे? अतीत में जाते हुए पवार ने याद किया कि पृथ्वीराज चव्हाण के माता-पिता आनंदराव और प्रेमलताई पार्टी में यशवंतराव चव्हाण के विरोध में कांग्रेस के खेमे में थे। पवार ने लिखा, "चूंकि मेरे यशवंतराव चव्हाण के साथ अच्छे संबंध थे, इसलिए पृथ्वीराज चव्हाण के परिवार के साथ मेरे अच्छे संबंध नहीं थे। भले ही हमारे बीच कोई मतभेद नहीं थे, लेकिन कोई खुली बातचीत नहीं थी।"
पृथ्वीराज चव्हाण गांधी परिवार के करीबी थे
उन्होंने कहा, “पृथ्वीराज चव्हाण का परिवार दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व के करीबी के रूप में जाना जाता था। मुझे हमेशा लगता था कि यह निकटता महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार चलाने के लिए अच्छी नहीं थी। शुरुआती सकारात्मक शुरुआत के बाद, वह भूल गए कि एनसीपी एक सहयोगी थी।” बता दें कि पवार ने मंगलवार को किताब के एक कार्यक्रम में सबको चौंकाते हुए राकांपा के प्रमुख का पद छोड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने इस राजनीतिक पार्टी की स्थापना 1999 में की थी।