Same Gender Marriage: केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, समलैंगिक जोड़ों की जरूरतों के लिए बनाई कमेटी

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार सेम सेक्स कपल की समस्याओं का हल तलाशने के लिए एक कमेटी बनाने को तैयार है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बुधवार को समलैंगिकों के विवाह को कानूनी मान्यता देने संबंधी मामले पर सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि उसने समलैंगिकों की जरूरतों के लिए कमेटी बनाने का फैसला किया है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार सेम सेक्स कपल (Same Sex couple) की समस्याओं का हल तलाशने के लिए एक कमेटी बनाने को तैयार है।

मेहता ने कहा कि सेम सेक्स कपल इस कमेटी को अपने सुझाव दे सकते हैं। वो हमें बतासकते हैं कि उनके बेनेफिट्स के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। सरकार इस पर सकारात्मक है। हालांकि, इस मामले में एक नहीं, बल्कि कई मंत्रालयों के बीच तालमेल की जरूरत है। मेहता ने आगे कहा कि याचिकाकर्ताओं के वकील भी समिति को सुझाव दे सकते हैं या वे जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं उसके बारे में बता सकते हैं। समिति उन पर विचार करेगी और कोशिश करेगी कि कानून के दायरे के तहत जहां तक संभव हो उनका समाधान किया जाए।

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अभिषेक मनु सिंघवी ने जताई आपत्ति

इस बीच याचिकाकर्ताओं में से एक के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रशासनिक शब्द के इस्तेमाल पर अपनी आपत्ति दर्ज की। उन्होंने कहा कि जब याचिकाकर्ता वैधानिक प्रावधानों में बदलाव की मांग कर रहे हैं, ऐसे में लीपापोती से काम नहीं चलेगा।

समलैंगिकों को समाज से नहीं कर सकते बहिष्कृत

बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि समलैंगिकों को समाज से बहिष्कृत नहीं किया जा सकता है। सरकार बताए कि वह इस संबंध में क्या कदम उठा सकती है और कैसे वह ऐसे लोगों की सुरक्षा और कल्याण के लिए क्या काम कर रही है?

केंद्र ने कोर्ट में अपनी दलीलें दीं

इस मामले पर CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस रवींद्र भट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली की संवैधानिक बेंच सुनवाई कर रही है। पिछले 6 दिन की सुनवाई के दौरान शुरुआत में केंद्र ने अपनी दलीलें दीं। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने अपनी समस्याएं और मांगें कोर्ट के सामने रखीं।

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