पेगासस विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने जांच पैनल को और समय दिया, 20 जून तक रिपोर्ट मांगी, जुलाई में होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस विवाद (Pegasus row ) की जांच कर रहे पैनल को और समय देने की अनुमति दी। कोर्ट ने अब 20 जून तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई जुलाई में होगी।

Asianet News Hindi | Published : May 20, 2022 7:57 AM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को पेगासस विवाद (Pegasus row) की जांच कर रही न्यायमूर्ति रवींद्रन समिति को और समय देने की अनुमति दी। समिति ने रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय बढ़ाने की मांग की थी। कोर्ट ने समिति को रिपोर्ट देने के लिए 20 जून तक का समय दिया है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि समिति ने उपकरणों की जांच के लिए अपना खुद का सॉफ्टवेयर विकसित किया था और उसे सरकारी एजेंसियों से प्रतिक्रिया मिली थी। इस मामले में पूछताछ के संबंध में एक पहलू पेगासस सॉफ्टवेयर के उपयोग को देखने के लिए डिजिटल फोरेंसिक से जुड़ा है। वहीं, दूसरा साइबर सुरक्षा के संबंध में सिफारिशें है। पहला भाग तकनीकी समिति के अंतर्गत आता है और दूसरा न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति द्वारा किया जाता है। 

पेगासस मामले में तकनीकी समिति का कहना है कि यह अभी भी पेगासस के परीक्षण उपकरणों के लिए एसओपी को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। इसे मई के अंत तक फाइनल कर लिया जाएगा। CJI जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने तकनीकी समिति को जस्टिस रवींद्रन को रिपोर्ट देने का समय दिया। बेंच ने जे. रवींद्रन से 20 जून तक अपनी अंतिम रिपोर्ट अदालत को भेजने का भी अनुरोध किया। मामले में अगली सुनवाई जुलाई में होगी।

यह है मामला
17 मीडिया संगठनों द्वारा की गई एक सहयोगी जांच रिपोर्ट पेगासस प्रोजेक्ट ने खुलासा किया कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, राजनीतिक रणनीतिकारों, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, अल्पसंख्यक नेताओं, न्यायाधीशों, धार्मिक नेताओं और केंद्रीय जांच ब्यूरो के प्रमुखों पर किया गया था। मामला सामने आने के बाद विपक्ष ने जासूसी के आरोपों पर सरकार पर हमला किया था। वहीं, सरकार ने कहा था कि एजेंसियों द्वारा कोई गलत कार्रवाई नहीं की गई।

यह भी पढ़ें- नमाज के लिए ज्यादा तादात में लोग पहुंचे ज्ञानवापी मस्जिद, जुमे को लेकर पहले ही जारी था अलर्ट

अक्टूबर 2021 में शीर्ष अदालत ने मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया। समिति को आठ सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया था। अदालत ने कहा था कि एजेंसियों द्वारा एकत्र की गई जानकारी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए महत्वपूर्ण है और यह निजता के अधिकार में तभी हस्तक्षेप कर सकती है जब राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक हो।

यह भी पढ़ें-  एलन मस्क पर Sexual Misconduct का आरोप लगाने वाली एयर होस्टेस को चुप रहने के लिए मिले 2.5 लाख डॉलर

Share this article
click me!