
नई दिल्ली. कोरोना महामारी में तब्लीगी जमात के लोगों को संक्रमितों की अलग संख्या में गिनने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका लगाई गई है, जिसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके प्रशासन को कुछ कोविड-19 मामलों को तब्लीगी जमात अथवा मस्जिद मरकज के रूप में अलग करने से रोका जाए, क्योंकि यह धार्मिक तौर पर चिह्नित करने के बराबर है। दिल्ली में अब तक कोरोना वायरस संक्रमण के करीब 1,640 मामले सामने आए हैं और अब तक 38 लोगों की इसके कारण मौत हो चुकी है।
याचिका में लिखा, जान बूझकर ऐसा लिखा गया
वकील द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि तब्लीगी के कार्यक्रम के बाद से केजरीवाल ने अपने ट्वीट में संक्रमण के कई मामलों को मस्जिद मरकज नाम के अलग शीर्षक के तहत जानबूझकर रखा। याचिकाकर्ता वकील एम एम कश्यप ने दावा किया कि कोरोना वायरस के मामलों को इस तरह पेश करने से सांप्रदायिक बैर पनपा है और इसके कारण एक धार्मिक समुदाय विशेष के प्रति नफरत का माहौल बना है।
याचिका में दिल्ली दंगे का जिक्र
याचिका में दिल्ली दंगे का भी जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया कि दिल्ली के उत्तर पूर्वी हिस्से में दंगा हो चुका है। जब दिल्ली में माहौल पहले से ही संवेदनशील और तनावपूर्ण है तो ऐसे में कोविड-19 के मामलों को इस तरह अलग करने से हालात और खराब होंगे।
20 अप्रैल को होगी सुनवाई
वकील फौजिया रहमान और एम कय्यामुद्दीन के जरिए दायर याचिका में कहा गया कि वक्त की जरूरत है कि देश कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में एकजुट हो। उन्होंने कहा कि ऐसे में इन मामलों को सांप्रदायिक रंग देने से यह उद्देश्य प्रभावित होगा। इस पर तत्काल रोक लगना चाहिए। इस याचिका पर 20 अप्रैल को सुनवाई हो सकती है।