PFI Ban: केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा होंगे UAPA ट्रिब्यूनल के पीठासीन अधिकारी

Published : Oct 06, 2022, 06:28 PM ISTUpdated : Oct 06, 2022, 06:39 PM IST
PFI Ban: केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा होंगे UAPA ट्रिब्यूनल के पीठासीन अधिकारी

सार

केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा को यूएपीए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम ट्रिब्यूनल का पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया है। वे पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और इससे जुड़े संगठनों पर लगे बैन का रिव्यू करेंगे।   

Justice Dinesh Kumar Sharma. केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा को यूएपीए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम ट्रिब्यूनल का पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया है। वे पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और इससे जुड़े संगठनों पर लगे बैन का रिव्यू करेंगे। जस्टिस शर्मा को 28 फरवरी 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति दी गई थी। उन्हें दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा से पदोन्नत किया गया था।

गृह मंत्रालय ने यूएपीए के तहल पीएफआई और उससे जुड़े संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही पीएफआई और उससे जुड़े संगठनों की गतिविधियों को गैरकानूनी संघों के रुप में घोषित किया गया है। केंद्र सरकार के अनुसार जस्टिस शर्मा की नियुक्ति की अधिसूचना यह क्लीयर करती है कि यूएपीए ट्रिब्यूनल के कर्तव्यों का पालन करते हुए उनके द्वारा बिताए गए समय को भारतीय संविधान की दूसरी अनुसूची के अर्थ में वास्तविक सेवा के रूप में गिना जाएगा।

इन संगठनों पर लगा बैन
दरअसल केंद्र सरकार ने आतंकवादी संगठनों के साथ संबंधों और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का दावा करते हुए पीएफआई और उसके सहयोगी रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वुमन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन केरल को गैरकानूनी संगठन घोषित किया है। इन पर यूएपीए के तहत कार्रवाई भी की जा रही है। 

क्या कहता है गृह मंत्रालय
गृहमंत्रालय ने पीएफआई पर लगे आरोपों की पूरी लिस्ट जारी की है। जिसमें कहा गया है कि पिछले कुछ सालों में देश के अलग-अलग राज्यों में हुई हत्याओं में पीएफआई का हाथ रहा है। केरल में साल 2018 में अभिमन्यु, साल 2021 में ए. संजीथ, साल 2021 में ही नंदू की हुई हत्या में इस संगठन का हाथ है। इसके अलावा तमिलनाडु में साल 2019 में रामलिंगम, साल  2016 में शशि कुमार, कर्नाटक में साल 2017 में शरथ, 2016 में रुद्रेश, प्रवीण पुजारी और 2022 में प्रवीण नेट्टारू की हत्याएं भी इसी संगठन ने करवाई हैं। 

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