सोमवार को पीएम मोदी ने सर्वदलीय मीटिंग बुलाई थी। बताया गया कि मीटिंग का उद्देश्य विपक्ष से मुद्दों पर सीधे बात करना था लेकिन विपक्ष ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया। विपक्ष का कहना है कि केवल चार दलों को आमंत्रित कर सत्ताधारी पक्ष विपक्षी एकता को तोड़ने का काम कर रही है।
नई दिल्ली। राज्यसभा (Rajya Sabha) के 12 सदस्यों को निलंबित (Suspension of 12 members) किए जाने सहित अन्य मुद्दों पर वार्ता के लिए सरकार द्वारा चार दलों को चर्चा पर बुलाए जाने पर विपक्षी दलों ने मीटिंग का बहिष्कार कर दिया। विपक्ष ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने सभी विपक्षी दलों को बुलाने की बजाय केवल चार दलों को आमंत्रित किया। यह सरकार की फूट डालो राज करो की नीति है जिसे विपक्ष कभी स्वीकार नहीं करेगा। उधर, सरकार और विपक्ष के बीच राज्य सभा और लोकसभा में टकरार लगातार होते दिख रही है। सोमवार को एक बार फिर हंगामे के बाद राज्यसभा की कार्रवाई 2 बजे तक के लिए स्थगित हो गई है। वहीं, लोकसभा में अजय कुमार मिश्रा के इस्तीफे को लेकर हंगामा जारी है।
विपक्ष का आरोप सरकार फूट डालो की नीति पर कर रही काम
सोमवार को पीएम मोदी ने सर्वदलीय मीटिंग बुलाई थी। बताया गया कि मीटिंग का उद्देश्य विपक्ष से मुद्दों पर सीधे बात करना था लेकिन विपक्ष ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया। विपक्ष का कहना है कि केवल चार दलों को आमंत्रित कर सत्ताधारी पक्ष विपक्षी एकता को तोड़ने का काम कर रही है।
इस बैठक में जेपी नड्डा भी शामिल हुए। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री (Parliamentary Affairs Minister) प्रह्लाद जोशी (Prahlad Joshi) ने कहा कि, हम चाहते हैं कि साथ बैठकर समाधान निकले लेकिन विपक्ष हर चीज को बॉयकॉट कर रहा है।
कांग्रेस ने किया पूर्ण बहिष्कार
कांग्रेस (Congress) ने इस बैठक को पूरी तरह बॉयकॉट करने का फैसला किया। वहीं, इसके अलावा टीएमसी सांसद (TMC MP) सुखेंदु शेखर (Sukhendu Shekhar) ने कहा कि हम मीटिंग में नहीं जाएंगे. उन्होंने कहा कि अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra Teni) और सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर हम प्रदर्शन करेंगे। इसके अलावा शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी (Shiv Sena MP Priyanka Chaturvedi) ने कहा कि सरकार फूट डालने का काम कर रही हम इसमें शामिल नहीं होंगे।
खड़गे ने लिखा जोशी को पत्र
कांग्रेस नेता व राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जोशी को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति जताई है। खड़गे ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने सभी विपक्षी नेताओं के बजाय केवल चार दलों को आमंत्रित किया। यह विपक्षी एकता को तोड़ने की नीति है जिसे हम स्वीकार नहीं करते।
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया, ‘ एक ऐसी सरकार का सोमवार सुबह का ‘स्टंट’ जोकि संसद को संचालित नहीं होने देना चाहती। सरकार ने उन चार दलों के नेताओं को बुलाया है जिनके 12 राज्यसभा सदस्यों को मनमाने तरीके से निलंबित कर दिया गया।’
12 सांसदों को किया गया है निलंबित
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को, मॉनसून सत्र के दौरान ‘अशोभनीय आचरण’ करने के कारण, इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था। इनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं। सरकार चाहती है कि सांसद माफी मांगे तो उनका निलंबन वापस होने पर विचार हो।
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