पीएम मोदी व राष्ट्रपति कोविंद वाले वीडियो को विपक्ष ने बनाया मुद्दा, ट्विटर ने out of context किया मार्क

सोमवार को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु देश की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के साथ कार्यभार ग्रहण करेंगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना उनको शपथ दिलाएंगे। मुर्मु देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति होंगी।

Dheerendra Gopal | Published : Jul 24, 2022 5:22 PM IST

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और कांग्रेस (Congress) के नेताओं द्वारा ट्वीट किए गए पीएम मोदी (PM Modi) के वीडियो को ट्विटर (Twitter) ने आउट ऑफ कान्टेक्स्ट (out of context) फ्लैग किया गया है। वीडियो में पीएम मोदी कैमरा की ओर देखते हुए दिख रहे हैं जबकि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) उनका अभिवादन करते हुए दिखाई दे रहे हैं। आप नेता संजय सिंह (Sanjay Singh) की पोस्ट को ट्विटर द्वारा "presented out of context" के रूप में चिह्नित किया गया है।

 

मूल वीडियो में, प्रधान मंत्री को राष्ट्रपति का अभिवादन करते हुए और उनकी ओर देखते हुए देखा जा सकता है। हालांकि, क्रॉप किए गए वीडियो में उस हिस्से को छोड़ दिया गया है। यह घटना संसद के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति कोविंद को विदाई देने के लिए आयोजित एक समारोह की है।

विपक्ष ने वीडियो ट्वीट कर बनाया मुद्दा

देश के पहले दलित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पीएम मोदी के बीच अभिवादन वाले वीडियो को विपक्ष काफी ट्रोल कर रहा है। इस पर तरह तरह के मीम्स भी बनाए गए हैं। विपक्ष ने कहा कि राष्ट्रपति कोविंद का कार्यकाल खत्म होने की वजह से उनकी ओर पीएम मोदी ने ध्यान नहीं दिया। आप नेता ने इसको लेकर एक वीडियो ट्वीट किया जिसको दस हजार से अधिक लाइक्स मिल चुके हैं। इस वीडियो को व्यापक रूप से ट्वीट किया गया है।

कार्यकाल के आखिरी दिन रविवार को राष्ट्र को किया संबोधित 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) अपने कार्यकाल के आखिरी दिन रविवार को राष्ट्र को संबोधित किया। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि आज से पांच साल पहले, आप सबने मुझ पर अपार भरोसा जताया था और अपने निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों के माध्यम से मुझे भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुना था। मैं आप सभी देशवासियों के प्रति तथा आपके जन-प्रतिनिधियों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान पूरे देश में पराधीनता के विरुद्ध अनेक विद्रोह हुए। देशवासियों में नयी आशा का संचार करने वाले ऐसे विद्रोहों के अधिकांश नायकों के नाम भुला दिए गए थे। अब उनकी वीर-गाथाओं को आदर सहित याद किया जा रहा है। हमारे पूर्वजों और हमारे आधुनिक राष्ट्र-निर्माताओं ने अपने कठिन परिश्रम और सेवा भावना के द्वारा न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्शों को चरितार्थ किया था। हमें केवल उनके पदचिह्नों पर चलना है और आगे बढ़ते रहना है। पढ़िए पूरी खबर...

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