अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने इस गर्मी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजकीय यात्रा के लिए आमंत्रित किया है। सूत्रों के हवाले से मोदी ने बाइडेन का निमंत्रण सिद्धांत रूप में स्वीकार कर लिया गया है।
वाशिंगटन(Washington). PM नरेंद्र मोदी इस गर्मी में अमेरिकी यात्रा पर जा सकते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने इस गर्मी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजकीय यात्रा(state visit) के लिए आमंत्रित किया है। सूत्रों के हवाले से मोदी ने बाइडेन का निमंत्रण सिद्धांत रूप में स्वीकार कर लिया गया है। अब दोनों पक्षों के अधिकारी पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तारीखों पर काम कर रहे हैं। हालांकि यह कार्यक्रम अभी प्रारंभिक चरण में है।
भारत इस वर्ष G-20 से संबंधित कई कार्यक्रमों की मेजबानी कर रहा है, जिसके कारण सितंबर में एक शिखर सम्मेलन होगा। इसमें अन्य लोगों के साथ बिडेन भी शामिल होंगे। यह विश्वसनीय रूप से पता चला है कि दोनों पक्षों के अधिकारी जून और जुलाई में मोदी की अमेरिकी विजिट के लिए सही तारीखों की तलाश कर रहे हैं।
दरअसल, राजकीय यात्रा के लिए कुछ दिनों की आवश्यकता है। इसमें अन्य बातों के अलावा अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करना और व्हाइट हाउस में राजकीय रात्रिभोज शामिल है। G-20 के अलावा, मोदी ने इस वर्ष के अंत में महत्वपूर्ण राज्य विधानसभा चुनावों की एक सीरिज के लिए प्रचार अभियान शुरू करने से पहले घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करना है।
हालांकि अधिकारी अभी इस बारे में कुछ बताने से बच रहे हैं। क्योंकि उन्हें इस समय इस संवेदनशील मुद्दे पर बात करने की अनुमति नहीं है। यह खुलासा नहीं किया कि यह निमंत्रण कब दिया गया था और किसने बिडेन से प्रधान मंत्री कार्यालय को यह व्यक्तिगत निमंत्रण दिया था? बिडेन ने पिछले दिसंबर में अपने पहले राजकीय रात्रिभोज के लिए फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रॉन की मेजबानी की।
इस बीच, अमेरिकी प्रशासन के एक सीनियर अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा कि बाइडेन का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी, जो दुनिया की प्रमुख ज्ञान अर्थव्यवस्थाएं हैं, प्रमुख वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए आवश्यक है।
राष्ट्रपति बाइडेन का मानना है कि दुनिया की दो लीडिंग नॉलेज इकोनॉमीज के रूप में यह साझेदारी आवश्यक है। उनका मानना है कि आज दुनिया जिन बड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है, उनमें से किसी भी बड़ी चुनौती से निपटने के लिए कोई भी सफल और स्थायी प्रयास नहीं किया जा रहा है, चाहे हम फूड या एनर्जी या फिर हेल्थ सेफ्टी, जलवायु संकट, या एक मुक्त और खुले भारत-प्रशांत को बनाए रखने की बात कर रहे हों। प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यहां भारतीय पत्रकारों के एक समूह को बताया कि वह बिना अमेरिका-भारत साझेदारी के काम करते हैं।
वास्तव में अमेरिका मानता है कि ग्लोबल पावर के रूप में भारत के उदय का समर्थन करना उसके रणनीतिक हित में है। वो इसे क्वाड और G-20 में भारत की अध्यक्षता दोनों में देखते हैं। यह इस सुसंगत यूएस-इंडो पैसिफिक रणनीति की एक बड़ी दृष्टि का वर्णन करता है] जिसके लिए आवश्यक है कि अमेरिका और भारत दोनों एक साथ करीब आएं और ऐसा करने के लिए लंबे समय से चली आ रही बाधाओं को दूर करें।
उधर, यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल ने यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स में ट्रैक 1.5 इवेंट का आयोजन किया। इसमें भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अपने अमेरिकी समकक्ष जैक सुलीवन और अमेरिकी सेक्रेटरी ऑफ कॉमर्स जिना रेमोंडो के साथ शामिल हुए।
राष्ट्रपति बिडेन और प्रधान मंत्री मोदी ने मई 2022 में दोनों देशों की सरकारों, व्यवसायों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी(strategic technology partnership) और रक्षा औद्योगिक सहयोग को बढ़ाने और विस्तारित करने के लिए क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (iCET) पर अमेरिका-भारत पहल की घोषणा की।
बता दें कि NSA अजीत डोभाल की 31 जनवरी को संयुक्त राज्य अमेरिका की विजिट काफी मायने रखती है। उन्होंने अमेरिकी NSA जेक सुलिवन(NSA Jake Sullivan) के साथ क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (iCET) पर पहल की हाईलेवल मीटिंग में भाग लेने के लिए वाशिंगटन डीसी का दौरा किया। क्रिटिकल और इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज पर पहल (iCET) भारत और अमेरिका द्वारा आउटकम-ओरियंटेड पार्टनरशिप की सुविधा के लिए शुरू की गई थी। और नई मैकेनिज्म का नेतृत्व भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद द्वारा किया जाएगा।
‘इनीशिएटिव फॉर क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी’ (आइसीईटी) के तहत भारत और अमेरिका 6 ऐसे बड़े बिंदुओं पर काम करने वाले हैं, जिसका लाभ पूरी दुनिया को मिलेगा। यही वजह है कि चीन के लिए यह एक टेंशन बन गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत ने आईसीईटी के तहत एक स्थायी तंत्र के माध्यम से दोनों देशों में रेग्युलेरी बैरियर्स और व्यापार और प्रतिभा गतिशीलता से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है।
ज्वाइंट डेवलपमेंट और प्रॉडक्शन के लिए दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग में तेजी लाने के लिए एक नया द्विपक्षीय रक्षा औद्योगिक सहयोग रोडमैप विकसित करना, जेट इंजन, गोला-बारूद से संबंधित प्रौद्योगिकियों और अन्य प्रणालियों से संबंधित प्रोजेक्ट्स पर रिसर्च करना इसका मकसद है। यानी दोनों देश एक नया इनोवेशन ब्रिज लॉन्च कर रहे हैं, जो यूएस और भारतीय रक्षा स्टार्टअप को जोड़ेगा।
संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत 2023 में बाद में नई दिल्ली में होने वाली अगली आईसीईटी बैठक की तैयारी में जुटे हैं। दोनों देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद अपने संबंधित मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों के साथ सहयोग बढ़ाने और हितधारकों के साथ जुड़ने के लिए अपने समकक्षों के साथ काम करने के लिए समन्वय करेंगी।
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अमेरिका की उप रक्षा मंत्री डॉ. कैथलीन हिक्स ने यहां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की और अमेरिका-भारत द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी(US-India bilateral defence partnership) की प्राथमिकताओं पर चर्चा की। पेंटागन ने यह जानकारी दी। इसने कहा कि चर्चाओं में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नीति और ऑपरेशनल कार्डिनेशन को मजबूत करना और दोनों देशों के बीच रक्षा औद्योगिक सहयोग बढ़ाना भी शामिल है।
भारतीय दूतावास ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा, "उन्होंने अमेरिका-भारत रक्षा सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों सहित कई विषयों पर चर्चा की।"
पेंटागन के प्रवक्ता एरिक पाहोन ने बैठक के एक बयान में कहा, हिक्स ने दोहराया कि गठजोड़ और साझेदारी बनाना विभाग के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है, और अमेरिकी राष्ट्रीय रक्षा रणनीति के चल रहे कार्यान्वयन का अभिन्न अंग है।
पहोन ने कहा कि उन्होंने क्षेत्र में भारत के नेतृत्व के लिए डोभाल को धन्यवाद दिया और अमेरिका और भारतीय सेनाओं के बीच समन्वय को गहरा करने के तरीकों पर चर्चा की ताकि क्षेत्र के तेजी से बढ़ते रणनीतिक माहौल को संबोधित किया जा सके।
उन्होंने कहा, 'दोनों ने भारत की अनूठी परिचालन आवश्यकताओं का समर्थन करने वाली अमेरिकी और भारतीय फर्मों के बीच अभिनव संयुक्त प्रयासों के माध्यम से द्विपक्षीय रक्षा औद्योगिक सहयोग बढ़ाने के अवसरों पर भी चर्चा की।'
हिक्स और डोभाल ने कहा कि वे अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी को आगे बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए तत्पर हैं।
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