PM Modi से 8 देशों के NSA ने की मुलाकात: क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री ने दिए चार सुझाव

बुधवार को दिल्ली में 8 देशों के नेशनल सिक्योरिटी एडवायजर (NSA) की बैठक हुई। मीटिंग की अध्यक्षता भारत के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) ने किया। इसके मीटिंग के बाद सभी देशों के सुरक्षा सलाहकारों ने सामूहिक रूप से पीएम मोदी से जाकर मुलाकात की। 

Dheerendra Gopal | Published : Nov 10, 2021 4:01 PM IST / Updated: Nov 10 2021, 10:00 PM IST

नई दिल्ली। अफगानिस्तान (Afghanistan) को लेकर क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता (regional Security dialogue) के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में जुटे आठ देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने बुधवार को पीएम मोदी (PM Modi) से मुलाकात की है। पीएम नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा सलाहकारों (National Security Advisors) से मुलाकात कर कई बिंदुओं पर सुझाव दिए। उन्होंने व्यक्त की कि क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता मध्य एशिया की संयम और प्रगतिशील संस्कृति की परंपराओं और प्रवृत्तियों को पुनर्जीवित करने के लिए काम करेगी।

पीएम मोदी ने सुझाए चार बिंदु

पीएम मोदी ने कोरोना महामारी (Covid-19) से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद दिल्ली सुरक्षा वार्ता में वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों की भागीदारी की सराहना की है। उन्होंने चार पहलुओं पर जोर दिया कि अफगानिस्तान के संदर्भ में इस क्षेत्र के देशों को ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होगी: एक समावेशी शासन की आवश्यकता; आतंकवादी समूहों द्वारा अफगान क्षेत्र का उपयोग किए जाने के बारे में शून्य-सहिष्णुता का रुख; अफगानिस्तान से मादक द्रव्यों और हथियारों की तस्करी का मुकाबला करने की रणनीति; और अफगानिस्तान में तेजी से बढ़ रहे गंभीर मानवीय संकट से उबारने के लिए प्रयास।

क्यों जुटे थे आठ देशों के सुरक्षा सलाहकार?

बुधवार को दिल्ली में 8 देशों के नेशनल सिक्योरिटी एडवायजर (NSA) की बैठक हुई। मीटिंग की अध्यक्षता भारत के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) ने किया। इसके मीटिंग के बाद सभी देशों के सुरक्षा सलाहकारों ने सामूहिक रूप से पीएम मोदी से जाकर मुलाकात की। एनएसए बैठक में पाकिस्तान और चीन ने शामिल होने से मना कर दिया था। मीटिंग में रूस, ईरान, उज़्बेकिस्तान, कजाखिस्तान, किर्गिस्तान ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शामिल हुए। मीटिंग में तालिबान को मान्यता देने या न देने पर भी विचार हुआ। उज्बेकिस्तान और भारत ने तय किया कि तालिबान को मान्यता के लिए अफगानिस्तान के नागरिकों की मान्यता का भरोसा जीतना होगा। कजाकिस्तान की NSA के अध्यक्ष करीम मासीवोम (Karim Massimov) ने कहा कि हम अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति को लेकर चिंतित हैं। अफगानों की सामाजिक अंत आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है और देश मानवीय संकट का सामना कर रहा है। मानवीय सहायता बढ़ाने की आवश्यकता है।

इन मुद्दों पर चर्चा

दिल्ली सुक्षा डायलॉग के एजेंडे में अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के बाद पैदा हुई चुनौतियों से निपटने कर रणनीति पर विचार हुआ। इनमें आतंकवाद एक बड़ा मुद्दा है। अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के बाद से आतंकवादी गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। सिर्फ अफगानिस्तान ही नहीं, दूसरे देशों में भी आतंकवादी संगठन अपने पैर पसारने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरा बड़ा मुद्दा कट्टरपंथ है। कट्टरपंथी संगठन दूसरे धर्मों के खिलाफ हिंसा कर रहे हैं। तीसरा मुद्दा ड्रग्स का अवैध कारोबार है। अफगानिस्तान ड्रग्स के अवैध कारोबार का एक बड़ा गढ़ है। अफगानिस्तान से अवैध हथियारों की तस्करी भी होती है। बता दें कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के साथ ही तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करते ही अपनी सरकार का ऐलान कर दिया था।

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