वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर पीएम का फोटो एक संदेश है, विज्ञापन नहीं, केरल हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

Pm's Photo On Vaccination Certificate :  केरल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) एस मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी शाली की बेंच ने याचिकाकर्मा पीटर मयालीपरम्पिल की इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की और इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा- यह प्रचार नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री का संदेश है। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 25, 2022 9:23 AM IST / Updated: Jan 25 2022, 04:25 PM IST

तिरुवनंतपुरम। केरल हाईकोर्ट (Kerala High court) की एक डिवीजन बेंच ने मंगलवार को वैक्सीन सर्टिफिकेट (Pm's Photo on Vaccination certificate) पर पीएम मोदी के फोटो को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। एक आरटीआई एक्टविस्ट (RTI Activist) ने जनहित याचिका (PIL) दाखिल कर केरल हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसने वैक्सीन सर्टिफिकेट से पीएम मोदी का फोटो हटाने से इंकार कर दिया था। 

इससे पहले सिंगल बेंच ने लगाया था एक लाख का जुर्माना
21 दिसंबर 2021 को हाईकोर्ट की सिंगल जज की बेंच ने इस याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पीटर पीटर म्यालीपरम्पिल पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) एस मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी शाली की बेंच ने आज याचिकाकर्मा पीटर मयालीपरम्पिल की इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की और इसे खारिज कर दिया। इससे पहले एकल पीठ ने कहा था कि वैक्सीन सर्टिफिकेट पर प्रधान मंत्री की तस्वीर एक विज्ञापन नहीं है। प्रधानमंत्री को वैक्सीन प्रमाण पत्र के माध्यम से सभी को संदेश देने का अधिकार है। यह पीएम का संदेश है, न कि विज्ञापन।

यह भी पढ़ें UK ने यात्रा नियमों में दी ढील, 11 फरवरी से फुली वैक्सीनेटेड की नहीं होगी जांच, नॉन वैक्सीनेटेड भी जा सकेंगे

याचिकाकर्ता ने कहा- जिन्होंने भुगतान किया, उनके सर्टिफिकेट में तस्वीर क्यों
पीठ ने याचिकाकर्ता को बताया कि इस संबंध में विस्तृत फैसला बाद में अपलोड किया जाएगा। यह याचिका अधिवक्ता अजीत जॉय के माध्यम से दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि उन लोगों के सर्टिफिकेट में पीएम का फोटो नहीं होना चाहिए, जिन्होंने इसके लिए भुगतान किया है। यह याचिका उन्होंने इस आधार पर लगाई थी कि किसी व्यक्ति के निजी प्रमाण पत्र में पीएम की तस्वीर को शामिल करने से कोई सार्वजनिक उद्देश्य या उपयोगिता नहीं है। उन्होंने कहा था कि यह याचिकाकर्ता की अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का उल्लंघन करता है। उन्होंने भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 का भी हवाला दिया, जिसमें जबरन सुनने का भी विरोध किया गया है।

यह भी पढ़ें Covid 19 : क्या खत्म होने लगी तीसरी लहर, 5 दिन पहले दुनियाभर में आए थे 37 लाख नए केस, अब 24 लाख पर सिमटे

याचिकाकर्ता का हर तर्क कोर्ट में खारिज 
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि सरकारी संदेश और अभियान, विशेष रूप से जब वह सरकारी धन के इस्तेमाल से दिए गए हों तो यह किसी व्यक्ति या नेता विशेष की तरफ से नहीं होने चाहिए। आखिरकार प्रधानमंत्री एक राजनीतिक पार्टी के नेता हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार, यह उनकी मतदान के लिए स्वतंत्र पसंद को प्रभावित करता है, जबकि इसे चुनावी प्रणाली के सार के रूप में मान्यता दी गई है। एकल न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को कोविड वैक्सीन प्रमाणपत्रों पर लगाए जाने पर आपत्ति जताने के पीछे उनकी मंशा पर सवाल उठाया था और इसे खारिज कर दिया था। इसके बाद याचिकाकर्ता ने फैसले पर पुनर्विचार की अपील डाली। इसमें कई कानूनी और संवैधानिक आधारों को शामिल करते हुए अदालत में तर्क दिया गया। हालांकि, कोर्ट ने सभी तर्कों को खारिज कर दिया। 

Share this article
click me!