
नई दिल्ली। देश में सूचना के अधिकार (RTI) सिस्टम को मजबूत करने वाले सबसे अहम पद चीफ इन्फॉर्मेशन कमिश्नर (CIC) की नियुक्ति को लेकर दिल्ली की सियासत एक बार फिर गर्म हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी जल्द ही एक अहम बंद कमरे की बैठक में हिस्सा लेने वाले हैं। यह मीटिंग इसलिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इसी में देश के अगले चीफ इन्फॉर्मेशन कमिश्नर का नाम तय होगा।
CIC वह संस्था है, जहां लाखों RTI अपीलें और शिकायतें पेंडिंग रहती हैं। ऐसे में नया चीफ और नई टीम कितनी तेजी से नियुक्त होती है, इसका सीधा असर आम नागरिकों के अधिकारों और पारदर्शिता पर पड़ेगा। सूत्र बताते हैं कि यह मीटिंग सिर्फ एक पद की नहीं, बल्कि CIC के अंदर खाली पड़े आठ बड़े पदों को भरने के लिए भी है। यानी कि आने वाले कुछ दिनों में RTI व्यवस्था पूरी तरह बदल सकती है।
CIC की वेबसाइट के अनुसार, इस समय कमिशन के पास सिर्फ दो इन्फॉर्मेशन कमिश्नर बचे हैं-आनंदी रामलिंगम और विनोद कुमार तिवारी। जबकि पूरे कमिशन में कुल 11 पद होने चाहिए: एक चीफ इन्फॉर्मेशन कमिश्नर और 10 इन्फॉर्मेशन कमिश्नर। फिलहाल हालात यह हैं कि 8 पद खाली हैं। पेंडिंग मामलों की संख्या 30,838 तक पहुंच चुकी है। यानी कि RTI एप्लीकेंट को जवाब मिलने में महीनों ही नहीं, बल्कि सालों तक भी इंतजार करना पड़ सकता है। इसीलिए यह नियुक्ति प्रक्रिया सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि लोकतंत्र और पारदर्शिता से सीधा जुड़ा हुआ कदम है।
RTI एक्ट की धारा 12(3) के मुताबिक, CIC और इन्फॉर्मेशन कमिश्नरों की नियुक्ति के लिए जो उच्चस्तरीय चयन समिति (Selection Committee) बनाई जाती है, उसके चेयरपर्सन प्रधानमंत्री होते हैं। समिति में विपक्ष के नेता भी शामिल होते हैं और इसके अलावा प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री भी इसका हिस्सा होते हैं। कानून के मुताबिक, इन्हीं तीनों की संयुक्त सिफारिश पर नाम आगे बढ़ते हैं। इसलिए यह बैठक बेहद अहम होगी क्योंकि सरकार और विपक्ष दोनों को ऐसे नामों पर सहमति बनानी होगी जो निष्पक्ष, अनुभवी और RTI की संरचना को मजबूत करने में सक्षम हों।
सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि CIC और अन्य इन्फॉर्मेशन कमिश्नरों के लिए चयन आज PM नेतृत्व वाली समिति करेगी। कोर्ट इस पर नजर इसलिए रखे हुए है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में कई बार CIC में पद लंबे समय तक खाली रहने से पेंडेंसी बढ़ी है। कोर्ट ने सरकार को कहा था कि नियुक्ति प्रक्रिया में देरी नहीं होनी चाहिए। यही कारण है कि आज की हाई-लेवल मीटिंग को न्यायपालिका, राजनीतिक हलकों और सिविल सोसायटी-सभी की नजरों ने खास बना दिया है।
देशभर में लोग यह सोच रहे हैं कि नया CIC कौन होगा और क्या वह रिकॉर्ड पेंडेंसी को खत्म कर पाएगा। पारदर्शिता संगठनों का मानना है कि चयन में मेरिट, निष्पक्षता और प्रशासनिक अनुभव को सबसे ऊपर रखा जाना चाहिए। यदि नए CIC और 8 नए कमिश्नरों की नियुक्ति समय पर हो जाती है, तो RTI मामलों की सुनवाई में तेजी आने की उम्मीद है। इससे आम लोगों को जवाब पाने में राहत मिलेगी और सरकारी विभागों की जवाबदेही भी बढ़ेगी। लेकिन जब तक मीटिंग खत्म नहीं होती, नाम सामने नहीं आते-तब तक यह सवाल हवा में ही है: क्या आज की बैठक भारत में पारदर्शिता के इतिहास का महत्वपूर्ण मोड़ बन सकती है?