G7 सम्मिट में मोदी ने की वैक्सीन को पेटेंट फ्री करने की पहल, ताकि गरीब देशाें को भी सरलता से मिल सके

कोरोना संक्रमण से जूझती दुनिया में सबसे अधिक परेशानी गरीब देशों को हो रही है। ऐसे देशों के पास न तो वैक्सीन बनाने के संसाधन हैं और न दूसरे देशों से उन्हें आसानी से मिल पा रही है। इस दिशा में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सार्थक पहल की है। ब्रिटेन में आयोजित G7 सम्मेलन में वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए मोदी ने वैक्सीन को पेटेंट फ्री करने की पहल की, ताकि इसका उत्पादन बढ़ सके।

लंदन. यहां 12-13 जून को हुए G7 सम्मेलन में कोरोना महामारी एक बड़ा मुद्दा रहा। रविवार को सम्मेलन के आखिरी दिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअल माध्यम से इसमें शामिल हुए। इसमें उन्होंने वैक्सीन को पेटेंट फ्री करने की पहल की, ताकि गरीब देशों को भी समय पर यह उपलब्ध हो सके।

सभी देशों तक वैक्सीन पहुंचाने मांगा सहयोग
प्रधानमंत्री ने G7 सम्मेलन में क्या कहा, इस बारे में विदेश मंत्रालय ने स्थानीय मीडिया के जानकारी दी। विदेश मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी पी हरीश ने बताया कि पीएम ने G7 के सभी देशों से सभी देशों तक वैक्सीन पहुंचाने की दिशा में सहयोग मांगा। इसके साथ ही यात्रा छूट(TRIPS waiver) के लिए भी समर्थन मांगा। आस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका ने भारत का समर्थन किया। इससे पहले वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन (WTO) और यूएन सेक्रेटरी जनरल भी इसका समर्थन कर चुके हैं। यात्रा छूट (TRIPS waiver) से कोविड-19 के टीकों, दवाओं और मेडिकल इक्विपमेंट्स से संबंधित टेक्नोलॉजी से कंपनी विशेष का सर्वाधिकार समाप्त हो जाएगा। इससे इन सामानों की पहुंच हर जगह हो जाएगी। इस संबंध में भारत और साउथ अफ्रीका ने WTO को एक प्रस्ताव भी भेज दिया है।

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साइबर सिक्योरिटी का मुद्दा भी उठाया
मोदी ने सम्मेलन के आखिरी दिन दो सत्रों में भाग लिया। मोदी ने क्लाइमेट चेंज को लेकर सभी देशों से एकजुट होने की अपील की। मोदी ने कहा कि G20 में शामिल भारत इकलौता देश है, जो पेरिस क्लाइमेट समिट से जुड़े अपने सभी वादे पूरे कर चुका है। मोदी ने विस्तारवाद(दूसरे देशों की सीमाओं में घुसपैठ) और साइबर सिक्योरिटी जैसे अहम मुद्दों पर भी साथ मिलकर काम करने पर जोर दिया। मोदी ने हेल्थ गवर्नेंस पर भी एकजुट होकर काम करने पर जोर दिया।

बतौर गेस्ट शामिल हुए मोदी
दो दिनी G-7 के 47वें शिखर सम्मेलन में मोदी वर्चुअल माध्यम से संपर्क(आउटरीच) सत्रों में शामिल हुए। भारत G-7 का हिस्सा नहीं है, लेकिन ब्रिटेन ने विशेषतौर पर मोदी को आमंत्रित किया गया था। 

महामारी से सबक लेते हुए हुआ था सम्मेलन का आगाज
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया था। उन्होंने कोरोना महामारी से सबक लेने की बात कहते हुए कहा था कि 2008 की बड़ी आर्थिक मंदी की भूल दुहराने से बचना होगा। खासकर तब, तब समाज मे समान रूप से विकास नहीं हो पा रहा हो।

यह है G-7 समूह
इस समूह में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल हैं। ब्रिटेन इसका अध्यक्ष है। इसलिए उसने भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और दक्षिण अफ्रीका को विशेषतौर पर आमंत्रित किया है। बता दें कि G-7 विकसित देशों का समूह है। इसकी पहली बैठक 1975 में हुई थी। तब इसमें 6 देश थे। कनाड को 1976 में जोड़ा गया था।

यह भी पढ़ें-ब्रिटेन में कोरोना के डेल्टा वेरिएंट का कहर, चार हफ्ते लॉकडाउन और बढ़ाने पर विचार कर रही सरकार

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