Agro and Food Processing: बिना खर्चे प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने 16 दिसंबर को किसानों को नुस्खे देंगे मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) 16 दिसंबर की दोपहर 11 बजे से कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन(Summit on Agro and Food Processing ) के समापन सत्र को संबोधित करेंगे, जिसमें प्राकृतिक खेती की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की जाएगी।

नई दिल्ली. किसानों को जीरो बजट पर प्राकृतिक खेती(natural farming) के लिए प्रेरित करने और उन्हें इसके तौर-तरीके सिखाने  गुजरात के आणंद में आयोजित कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन (Summit on Agro and Food Processing ) के समापन सत्र में 16 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) संबोधन देंगे। वे सुबह 11 बजे किसानों को संबोधित करेंगे। इसमें जिसमें प्राकृतिक खेती की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की जाएगी।

सीधा प्रसारण देखा और सुना जा सकता है
इस सम्मेलन में 5000 किसान शामिल होंगे। इसके अलावा राज्यों में आईसीएआर के 80 केन्‍द्रीय संस्थान, कृषि विज्ञान केन्‍द्र और एटीएमए नेटवर्क भी किसानों को प्राकृतिक खेती के अभ्यास और लाभों के बारे में जानने और इस कार्यक्रम को लाइव देखने के लिए जोड़ेंगे। इसके अतिरिक्त, देश भर के किसान और लोग https://pmindiawebcast.nic.inलिंक के जरिए सम्‍मेलन से जुड़ सकते हैं अथवा दूरदर्शन पर लाइव देख सकते हैं। सरकार ने पिछले छह वर्षों के दौरान किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि को बदलने के लिए कई उपाय शुरू किए हैं। प्रणाली की स्थिरता, लागत में कमी, बाजार पहुंच और किसानों को बेहतर प्राप्ति के लिए पहल को बढ़ावा देने और समर्थन देने के प्रयास चल रहे हैं।

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शून्य बजट प्राकृतिक खेती के बारे में
शून्य बजट प्राकृतिक खेती को उत्‍पादन के एक भाग पर किसानों की निर्भरता को कम करने, पारंपरिक क्षेत्र आधारित प्रौद्योगिकियों पर भरोसा करके कृषि की लागत को कम करने के लिए एक आशाजनक उपकरण के रूप में पहचाना गया है जिससे मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह कृषि पद्धतियों को एकल-फसल से विविध बहु-फसल प्रणाली में स्थानांतरित करने पर जोर देता है। देसी गाय, उसका गोबर और मूत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिससे विभिन्न निविष्टियां जैसे बीजामृत, जीवामृत और घनजीवमृत खेत पर बनते हैं और अच्छे कृषि उत्पादन के लिए पोषक तत्वों और मिट्टी के जीवन का स्रोत हैं। अन्य पारंपरिक प्रथाएं जैसे कि बायोमास के साथ मिट्टी में गीली घास डालना या साल भर मिट्टी को हरित आवरण से ढक कर रखना, यहां तक ​​कि बहुत कम पानी की उपलब्धता की स्थिति में भी ऐसे कार्य किए जाते हैं जो पहले वर्ष अपनाने से निरंतर उत्पादकता सुनिश्चित करती हैं।

किसानों की राय भी ली जाएगी
नेचुरल फार्मिंग की रणनीतियों पर जोर देने और देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में किसानों को संदेश देने के लिए गुजरात सरकार यह राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन का आयोजन कर रही है। प्रख्यात वक्ताओं को प्राकृतिक खेती के विषय पर अपने विचार साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया है। देश भर से 300 से अधिक प्रदर्शकों की प्रदर्शनी एक अतिरिक्त आकर्षण होगी।
 

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