पीएम मोदी ने ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया के तहत लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स (LHPs) का शिलान्यास किया। एलएचपी का निर्माण इंदौर, राजकोट, चेन्नई, रांची, अगरतला और लखनऊ में किया जाएगा, जिसमें संबद्ध अवसंरचना सुविधाओं के साथ प्रत्येक स्थान पर लगभग 1,000 घर शामिल होंगे।
नई दिल्ली. पीएम मोदी ने ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया के तहत लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स (LHPs) का शिलान्यास किया। एलएचपी का निर्माण इंदौर, राजकोट, चेन्नई, रांची, अगरतला और लखनऊ में किया जाएगा, जिसमें संबद्ध अवसंरचना सुविधाओं के साथ प्रत्येक स्थान पर लगभग 1,000 घर शामिल होंगे।
एक साल में 1000 घर बनाए जाएंगे
इस मौके पर उन्होंने कहा, "हर जगह एक साल में 1,000 घर बनाए जाएंगे, इसका मतलब प्रतिदिन 2.5-3 घर बनाने का औसत आएगा। अगली 26 जनवरी से पहले इस काम में सफलता पाने का इरादा है।"
"देश में ही आधुनिक हाउसिंग तकनीक से जुड़ी रिसर्च और स्टार्टअप्स को प्रमोट करने के लिए आशा इंडिया प्रोग्राम चलाया जा रहा है। इसके माध्यम से भारत में ही 21वीं सदी के घरों के निर्माण की नई और सस्ती तकनीक विकसित की जाएगी।"
घर निर्माण में दुनिया की सबसे अच्छी तकनीक
"घर बनाने से जुड़े लोगों को नई तकनीक से जुड़ी स्किल अपग्रेड करने के लिए सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया जा रहा है ताकि देशवासियों को घर निर्माण में दुनिया की सबसे अच्छी तकनीक और मटेरियल मिल सके।"
"लोगों के पास अब RERA जैसे कानून की शक्ति है। RERA ने लोगों में ये भरोसा लौटाया है कि जिस प्रोजेक्ट में वो पैसा लगा रहे हैं, वो पूरा होगा, उनका घर अब फंसेगा नहीं।"
पीएम मोदी ने बताया, कोरोना ने क्या सिखाया?
"जो लोग हमारे मजदूर के सामर्थ्य को स्वीकार नहीं करते थे कोरोना ने उन्हें स्वीकार करने के लिए मजबूर कर दिया। शहरों में हमारे श्रमिकों को उचित किराए पर मकान उपलब्ध नहीं होते हैं। हमारे श्रमिक गरिमा के साथ जीवन जिये ये हम सब देशवासियों का दायित्व है।"
"इसी सोच के साथ सरकार उद्योगों के साथ और दूसरे निवेशकों के साथ मिलकर उचित किराए वाले घरों का निर्माण करने पर बल दे रही है और कोशिश ये भी है कि जहां वो काम करते हैं उसी इलाके में उनका मकान हो।"
पीएम ने बताया, घर बनाने में कौन सी तकनीक होगी
पीएम ने कहा, "इंदौर में जो घर बन रहे हैं, उनमें गारे की दीवार की जगह प्री फेब्रिकेटेड स्ट्रक्चर का इस्तेमाल होगा। गुजरात में कुछ अलग टेक्नोलॉजी से घर बनेगा। फ्रांस की टेक्नोलॉजी से घर आपदाओं को झेलने में सक्षम होगा। अगरतला में न्यूजीलैंड की स्टील फ्रेम टेक्नोलॉजी, लखनऊ में कनाडा की टेक्नोलॉजी यूज करेंगे। इसमें प्लास्टर का इस्तेमाल नहीं होगा। प्रोजेक्ट एक तरह से इन्क्यूबेशन सेंटर होंगे। इनमें इंजीनियर्स, रिसर्चर्स, स्टूडडेंट्स सीख पाएंगे।"
क्या है ये खास तकनीक?
इस तकनीक के तहत सस्ते और मजबूत मकान बनाए जाते हैं। प्रोजेक्ट में फैक्टरी से ही बीम-कॉलम और पैनल तैयार कर घर बनाने वाली जगह पर लाया जाता है। इसका फायदा ये होता है कि निर्माण कार्य में वक्त बचता है और लागत कम हो जाती है। इसलिए प्रोजेक्ट में खर्च भी कम आता है। इसके तहत बने मकान पूरी तरह से भूकंपरोधी होते हैं।