पराक्रम दिवस पर बोले मोदी- समंदर किनारे लहराते तिरंगे को देख लोगों में देशभक्ति का रोमांच बढ़ जाता है

प्रधानमंत्री मोदी आज (23 जनवरी) को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े अनाम द्वीपों का नामकरण 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। यह परमवीर चक्र विजेताओं के लिए एक चिरस्थायी श्रद्धांजलि है।

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पराक्रम दिवस (23 जनवरी) पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े अनाम द्वीपों का नामकरण 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर बनने वाले नेताजी को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक के मॉडल का भी अनावरण किया।

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मोदी ने कहा-आज के इस दिन को आजादी के अमृत काल के एक महतपूर्ण अध्याय के रूप में आने वाली पीढ़ियां याद करेंगी। हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए ये द्वीप एक चिरंतर प्रेरणा का स्थल बनेंगे। मैं सभी को इसके लिए बहुत बहुत बधाई देता हूं।अंडमान की ये धरती वो भूमि है, जिसके आसमान में पहली बार मुक्त तिरंगा फहरा था। सेल्यूलर जेल की कोठरियों से आज भी अप्रतिम पीड़ा के साथ-साथ उस अभूतपूर्व जज़्बे के स्वर सुनाई पड़ते हैं। नेता जी का स्मारक हमारे युवाओं और हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का एक सतत स्रोत के रूप में काम करेगा। मैं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लोगों के साथ-साथ पूरे देश के लोगों को इस बड़े दिन की बधाई देता हूं। अंडमान में जिस जगह नेता जी ने सबसे पहले तिरंगा फहराया था, वहां आज गगनचुंबी तिरंगा आजादी हिन्द फौज के पराक्रम का गुणगान कर रहा है। समंदर किनारे लहराते तिरंगे को देख, यहां आने वाले लोगों में देशभक्ति का रोमांच बढ़ जाता है। मैं नेता जी सुभाष और परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। जिस भूमि पर नेता जी ने सबसे पहले भारत का झंडा फहराया था, आज आजाद हिंद फौज के पराक्रम की सभी प्रशंसा कर रहे हैं। 

मोदी ने कहा-दशकों से नेता जी के जीवन से जुड़ी फाइलों को सार्वजानिक करने की मांग हो रही थी, यह काम भी देश ने पूरी श्रद्धा के साथ आगे बढ़ाया। आज हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं के सामने 'कर्तव्य पथ' पर नेताजी की भव्य प्रतिमा हमें हमारे कर्तव्यों की याद दिला रही है। 2019 में लाल किले की प्राचीर से नेता जी को समर्पित एक संग्रहालय का उद्घाटन भी हुआ। साथ ही, पश्चिम बंगाल में भी नेता जी की 125वीं जयंती पर भव्य समारोह हुए। पूरे देश ने इसे बड़े जोश के साथ मनाया। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में नेता जी का स्मारक अब लोगों के दिलों में और अधिक देशभक्ति का संचार करेगा। ये काम देशहित में बहुत पहले हो जाने थे, क्योंकि जिन देशों ने अपने नायक-नायिकाओं को समय रहते जनमानस से जोड़ा...वो विकास और राष्ट्र निर्माण की दौड़ में बहुत आगे गए। आज आजादी के अमृत काल में भारत यही काम कर रहा है, जी-जान से कर रहा है। देश का हर हिस्सा, दिल्ली से बंगाल तक, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तक, हमारे महान नायक, नेता जी को मना रहा है और उनसे जुड़े इतिहास और विरासत को संजो रहा है।

जिन 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से इन द्वीपों को जाना जाएगा उन्होंने मातृभूमि के कण-कण को अपना सबकुछ माना था, उन्होंने भारत मां की रक्षा के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया था। भारत, आज वास्तव में नेता जी के जीवन और बलिदानों को संजो कर रख रहा है और उनका उत्सव मना रहा है।  आजाद हिंद सरकार के गठन के 75 साल पूरे होने के दिन पूरे देश ने नेता जी को नमन किया और नेता जी को सलामी देते हुए लाल किले पर झंडा फहराया गया। आज देश उस कर्तव्य को... उस जिम्मेदारी को पूरा करने का हर संभव प्रयास कर रहा है। आज जवानों और सेना के नाम से देश को पहचान दी जा रही है। देश की सेनाएं देश के कण-कण की रक्षा में हमेशा तैयार रहती हैं। हर मौके और हर मोर्चे पर हमारी सेनाओं ने अपने शौर्य को सिद्ध किया है। ये देश का कर्तव्य था कि राष्ट्र रक्षा के अभियानों में स्वयं समर्पित करने वाले जवानों को व्यापक स्तर पर पहचान दी जाए।

मोदी ने कहा-वो अलग अलग राज्य से थे, लेकिन मां भारती की अटूट भक्ति उन्हें जोड़ती थी... एक बनाती थी। जैसे समुद्र अलग अलग द्वीपों को जोड़ता है वैसे ही 'एक भारत - श्रेष्ठ भारत' का भाव भारत मां की हर संतान को एक कर देता है। भारत के द्वीपों के पास समृद्ध और विकसित होने के लिए महान संसाधन, क्षमताएं और ताकत हैं। लेकिन दुर्भाग्य से इन जगहों पर कभी उचित ध्यान नहीं दिया गया। लेकिन अब द्वीपों को पर्यटन का भी बेहतरीन ठिकाना बनाने के लिए सभी मोर्चों पर विकास सुनिश्चित किया जा रहा है। अब लोग इतिहास को जानने और उसको जीने के लिए भी यहां आ रहे हैं। अपनी विरासत पर गर्व की भावना इस परंपरा के लिए और अधिक आकर्षण पैदा कर रही है। 

मोदी ने कहा-हमारे पूर्वोत्तर के राज्यों और अंडमान-निकोबार द्वीप जैसे हिस्सों को हमेशा ये सोच रही कि ये तो दूरदराज के दुर्गम और अप्रासंगिक क्षेत्र हैं... ऐसी सोच के कारण ऐसे क्षेत्रों की दशकों तक उपेक्षा हुई और उनके विकास को नजरअंदाज किया गया। अंडमान-निकोबार द्वीप भी इसका साक्षी है। देश में पहले की सरकारों ने... और खास कर विकृत वैचारिक राजनीति के कारण दशकों से जो हीनभावना और आत्मविश्वास की कमी रही उसके कारण देश के सामर्थ्य को हमेशा कमतर आंका गया। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भविष्य में राष्ट्र के विकास को उसी तरह मजबूत करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

आज का दिन भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों शाखाओं के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों का नामकरण करने की प्रधान मंत्री मोदी जी की महान अभूतपूर्व पहल हमारे सशस्त्र बलों के लिए बहुत ही प्रेरणादायक है। नेता जी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि के रूप में सुभाष द्वीप पर भी एक स्मारक स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। आज भारत के प्रधानमंत्री जी की यह पहल जिसके तहत अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के 21 बड़े द्वीपों को हमारे परमवीर चक्र विजेताओं के नाम के साथ जोड़ कर, उनकी स्मृति को जब तक यह पृथ्वी रहेगी तब तक चिरंजीव करने का प्रयास सेना का उत्साह बढ़ाएगा। पूरे विश्व में किसी भी देश ने अपने लिए लड़ने वाले जवानों के नाम पर अपने द्वीपों का नाम रख कर उनको सम्मानित करने का काम नहीं उठाया। पीएम मोदी जी के मजबूत नेतृत्व में लिए गए आज के सभी फैसले निश्चित रूप से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के साथ जुड़ाव को स्वीकार करते हैं और उसकी सराहना करते हैं।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्मृति का सम्मान करने के लिए, 2018 में द्वीप की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा रॉस द्वीप समूह का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा गया था। नील द्वीप और हैवलॉक द्वीप का नाम बदलकर क्रमशः शहीद द्वीप और स्वराज द्वीप कर दिया गया था।

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जैसा कि कहा जाता रहा है कि प्रधानमंत्री ने हमेशा देश के वास्तविक जीवन के नायकों को उचित सम्मान दिए जाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। इसी भावना के साथ आगे बढ़ते हुए अब द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े अनाम द्वीपों का नामकरण 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने का निर्णय लिया गया है। सबसे बड़े अनाम द्वीप का नाम पहले परमवीर चक्र विजेता के नाम पर रखा जाएगा, दूसरे सबसे बड़े अनाम द्वीप का नाम दूसरे परमवीर चक्र विजेता के नाम पर रखा जाएगा, और इसी तरह यह क्रम जारी रखा जाएगा। यह कदम हमारे नायकों के प्रति एक चिरस्थायी श्रद्धांजलि होगी, जिनमें से कई ने राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया था।

इन द्वीपों का नाम 21 परम वीर चक्र विजेताओं-मेजर सोमनाथ शर्मा, सूबेदार और मानद कप्तान (तत्कालीन लांस नायक) करम सिंह, एम.एम., सेकंड लेफ्टिनेंट राम राघोबा राणे, नायक जदुनाथ सिंह, कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह, कैप्टन जी.एस. सलारिया, लेफ्टिनेंट कर्नल (तत्कालीन मेजर) धन सिंह थापा, सूबेदार जोगिंदर सिंह, मेजर शैतान सिंह, सीक्यूएमएच. अब्दुल हमीद, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, मेजर होशियार सिंह, सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों, मेजर रामास्वामी परमेश्वरन, नायब सूबेदार बाना सिंह, कप्तान विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे, सूबेदार मेजर (तत्कालीन राइफलमैन) संजय कुमार और सूबेदार मेजर सेवानिवृत्त (मानद कप्तान) ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव के नाम पर रखा गया है।

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