संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन के लिए मोदी का ध्यान 'अक्षय ऊर्जा' की ओर

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, "हम किसी विशेष क्षेत्र की ओर नहीं देख रहे हैं लेकिन हां, अक्षय ऊर्जा पर जरूर हमारा ध्यान है क्योंकि ऊर्जा एक महत्वपूर्ण घटक है।

संयुक्त राष्ट्र (United Nations). प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के उच्च स्तरीय जलवायु कार्यवाही सम्मेलन में अक्षय ऊर्जा पर अपनी सरकार की महत्वाकांक्षाओं के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ आपदारोधी ढांचे की खातिर एकजुट होने की बात भी उठा सकते हैं।

मोदी इस सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के शुरुआती वक्ताओं में शामिल हैं। यह इस मायने में महत्वपूर्ण है कि केवल उन्हीं राष्ट्र प्रमुखों, सरकार और मंत्रियों को ही सम्मेलन में बोलने का मौका मिलता है जिन्हें जलवायु कार्यवाही को लेकर कोई "सकारात्मक घटनाक्रम" की घोषणा करनी होती है। मोदी सम्मेलन में चौथे वक्ता हैं। उनका शुरुआती वक्ताओं में शामिल होना वैश्विक जलवायु कार्यवाही प्रयासों में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका तथा योगदान को रेखांकित करता है। सम्मेलन में सबसे पहले वक्ता हैं गुतारेस, फिर न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न और मार्शल आयलैंड की राष्ट्रपति हिल्डा हेने। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल मोदी के बाद बोलेंगी।

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संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने बताया कि जलवायु कार्यवाही के प्रति भारत का रुख बहुआयामी है क्योंकि "हम जो कुछ भी करते हैं उसका प्रभाव वैश्विक होता है।" उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री अक्षय ऊर्जा के प्रति अपनी महत्वाकांक्षाओं को स्पष्ट करेंगे और आपदारोधी ढांचे के लिए राष्ट्रों के गठबंधन का प्रस्ताव देंगे, ठीक उसी तरह जैसे अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन है।

अकबरुद्दीन ने कहा, "हम किसी विशेष क्षेत्र की ओर नहीं देख रहे। लेकिन हां, अक्षय ऊर्जा पर जरूर हमारा ध्यान है क्योंकि ऊर्जा एक महत्वपूर्ण घटक है। वैसे भी हमारे देश में ऊर्जा की जरूरत ज्यादा है और अक्षय ऊर्जा की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होगी। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी संभवत: 2015 में किए गए वादे से कहीं आगे जाकर भविष्य के लिए अक्षय ऊर्जा की अपनी महत्वाकांक्षा के बारे में बात करेंगे।"

पेरिस जलवायु समझौते पर वर्ष 2015 में हस्ताक्षर किए गए थे। यह वैश्विक तापमान को दो डिग्री से नीचे रखने के प्रयासों और जलवायु परिवर्तन के खतरे के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया को मजबूत करने से जुड़ा है।
 

[यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है]

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