मन की बात: पीएम बोले- खिलौने एक्टिविटी बढ़ाने के साथ साथ हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं

प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सुबह 11 बजे अपने रेडियो कार्यक्रम में 'मन की बात' के जरिए राष्ट्र को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, आमतौर पर ये समय उत्सव का होता है। जगह जगह मेला लगते हैं, धार्मिक पूजा पाठ होते हैं। कोरोना के इस संकट काल में लोगों में उमंग तो है, उत्साह भी है।

Asianet News Hindi | Published : Aug 30, 2020 4:03 AM IST / Updated: Aug 30 2020, 11:52 AM IST

नई दिल्ली. प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सुबह 11 बजे अपने रेडियो कार्यक्रम में 'मन की बात' के जरिए राष्ट्र को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, आमतौर पर ये समय उत्सव का होता है। जगह जगह मेला लगते हैं, धार्मिक पूजा पाठ होते हैं। कोरोना के इस संकट काल में लोगों में उमंग तो है, उत्साह भी है। लेकिन हम सबको मन को छू जाए वैसा अनुशासन भी है। लोग अपना ध्यान रखते हुए, दूसरों का ध्यान रखते हुए, अपने रोजमर्रा के काम भी कर रहे हैं। देश में हो रहे हर आयोजन में जिस तरह का संयम और सादगी इस बार देखी जा रही है। वो अभूतपूर्व है। गणेशोत्सव भी कहीं ऑनलाइन मनाया जा रहा है, तो कहीं इस बार इकोफ्रेंडली गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई है। 

पीएम मोदी ने कहा, हम बहुत बारीकी से अगर देखेंगे, तो एक बात अवश्य हमारे सामने आएगी- हमारे पर्व और पर्यावरण। इन दोनों के बीच एक बहुत गहरा नाता है। जहां एक ओर हमारे पर्वों में पर्यावरण और प्रकृति के साथ सहजीवन का संदेश छिपा होता है। दूसरी ओर कई सारे पर्व प्रकृति की रक्षा के लिए ही मनाए जाते हैं। 

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प्रधानमंत्री के संबोधन की अहम बातें

- बिहार के पश्चिमी चंपारण में सदियों से थारू आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लॉकडाउन, उनके शब्दों में ‘60 घंटे के बरना’ का पालन करते हैं। प्रकृति की रक्षा के लिए बरना को थारू समाज के लोगों ने अपनी परंपरा का हिस्सा बना लिया है और ये सदियों से है।
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, खिलौने जहां एक्टिविटी को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं। खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ते भी हैं। 
- पीएम ने बताया, मैंने कही पढ़ा था, खिलौनों के संबंध में गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर ने कहा था, बेस्ट टॉय वे होते हैं, जो पूरे नहीं होते। ऐसा खिलौना जो अधूरा होता है, बच्चे खेल खेल में इसे पूरा करते हैं। टैगोर ने कहा था कि जब वे छोटे थे तो घर में ही मिलने वाले सामानों से खेल बनाते थे।
-  देश में लोकल खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है। कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं। भारत के कुछ क्षेत्र टॉय क्लस्टर यानी खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं। 
- हमारे यहां के बच्चे, हमारे विद्यार्थी अपनी पूरा क्षमता दिखा पाएं, इसमें बहुत बड़ी भूमिका न्यूट्रीशन की भी होती है, पोषण की भी होती है। पूरे देश में सितंबर महीने को पोषण महीने के रूप में मनाया जाएगा। 

आइए मिलकर बनाएं खिलौने
पीएम ने कहा, खिलौनों के साथ हम दो चीजें कर सकते हैं, अपने गौरवशाली अतीत को अपने जीवन में फिर से उतार सकते हैं, और अपने स्वर्णिम भविष्य को भी संवार सकते हैं। मैं अपने स्टार्टअप मित्रों, उद्यमियों से कहना चाहता हूं, टीम अप फॉर टॉय। आओ मिलकर खिलौने बनाएं। अब सभी के लिए लोकल खिलौने बनाने के लिए वोकल होने का वक्त आ गया है। 

पीएम मोदी ने दो कुत्तों का किया जिक्र
पीएम मोदी ने कहा, बीते दिनों जब हम अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहे थे, तब एक दिलचस्प खबर पर मेरा ध्यान गया। यह खबर हमारे सुरक्षाबलों के दो जांबाज किरदारों की थी। एक है सोफी और दूसरी विदा। सोफी और विदा इंडियन आर्मी के श्वान हैं। डॉग हैं। और इन्हें चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ कमेंडेशन कार्ड से सम्मानित किया गया है। 

शिक्षक दिवस को लेकर कही ये बात
 

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